न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ: कामना (Na Dhan Dharti Na Dhan Chahata Hun: Kamana)
न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥
रहे नाम तेरा वो चाहूं मैं रसना ।
सुने यश तेरा वह श्रवण चाहता हूँ ॥
न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥
विमल ज्ञान धारा से मस्तिष्क उर्बर ।
व श्रद्धा से भरपूर मन चाहता हूँ ॥
न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥
करे दिव्य दर्शन तेरा जो निरन्तर ।
वही भाग्यशाली नयन चाहता हूँ ॥
न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥
नहीं चाहता है मुझे स्वर्ग छवि की ।
मैं केवल तुम्हें प्राण धन ! चाहता हूँ ॥
न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥
प्रकाश आत्मा में अलौकिक तेरा है ।
परम ज्योति प्रत्येक क्षण चाहता हूँ ॥
न मैं धान धरती न धन चाहता हूँ ।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूँ ॥
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 25 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 25)
श्री श्रीगुर्वष्टक (iskcon Sri Sri Guruvashtak)
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन: भोग आरती (Aao Bhog Lagao Mere Mohan: Bhog Aarti)
भजन: बजरंग के आते आते कही भोर हो न जाये रे... (Bajrang Ke Aate 2 Kahin Bhor Ho Na Jaye Re)
संकटनाशन गणेश स्तोत्र - प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम (Shri Sankat Nashan Ganesh Stotra)
मैं तो तेरी हो गई श्याम: भजन (Me Too Teri Hogai Shayam, Dunyan Kya Jane)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 12 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 12)
श्री सत्यनारायण कथा - चतुर्थ अध्याय (Shri Satyanarayan Katha Chaturth Adhyay)
नाम त्रय अस्त्र मन्त्र (Nama Traya Astra Mantra)
भजन: चलो मम्मी-पापा चलो इक बार ले चलो! (Chalo Mummy Papa Ik Baar Le Chalo)
भक्ति की झंकार उर के: प्रार्थना (Bhakti Ki Jhankar Urke Ke Taron Main: Prarthana)
ऋण मोचक मङ्गल स्तोत्रम् (Rin Mochan Mangal Stotram)