आरती सरस्वती जी: ओइम् जय वीणे वाली (Saraswati Om Jai Veene Wali)
ओइम् जय वीणे वाली, मैया जय वीणे वाली
ऋद्धि-सिद्धि की रहती, हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियों की बुद्धि को, शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाँति शुद्ध, तू ही माँ करती॥ 1 ॥
ज्ञान पिता को देती, गगन शब्द से तू
विश्व को उत्पन्न करती, आदि शक्ति से तू॥ 2 ॥
हंस-वाहिनी दीज, भिक्षा दर्शन की
मेरे मन में केवल, इच्छा तेरे दर्शन की॥ 3 ॥
ज्योति जगा कर नित्य, यह आरती जो गावे
भवसागर के दुख में, गोता न कभी खावे॥ 4 ॥
ब्रजराज ब्रजबिहारी! इतनी विनय हमारी (Brajaraj Brajbihari Itni Vinay Hamari)
हम तो दीवाने मुरलिया के, अजा अजा रे लाल यशोदा के (Hum Too Diwane Muraliya Ke Aaja Aaje Re Lal Yashoda Ke)
तेरे द्वार खड़ा भगवान, भक्त भर..: भजन (Tere Dwaar Khada Bhagawan Bhagat Bhar De Re Jholi)
श्री कुबेर जी आरती - जय कुबेर स्वामी (Shri Kuber Aarti, Jai Kuber Swami)
अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Aarti)
आओ यशोदा के लाल: भजन (Aao Yashoda Ke Laal)
सर को झुकालो, शेरावाली को मानलो - भजन (Sar Ko Jhukalo Sherawali Ko Manalo)
कथा: हनुमान गाथा (Katha Hanuman Gatha)
भजन: भगतो को दर्शन दे गयी रे (Bhagton Ko Darshan De Gayi Re Ek Choti Si Kanya)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 11 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 11)
कृपा की न होती जो, आदत तुम्हारी: भजन (Kirpa Ki Na Hoti Jo Addat Tumhari)
भाद्रपद संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Bhadrapad Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)