भजन: हरि तुम हरो जन की भीर... (Hari Tum Haro Jan Ki Bhir)
हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥
हरि तुम हरो जन की भीर...
भगत कारण रूप नरहरि धर्यो आप शरीर॥
हिरण्यकश्यप मारि लीन्हो धर्यो नाहिन धीर॥
हरि तुम हरो जन की भीर...
बूड़तो गजराज राख्यो कियौ बाहर नीर॥
दासी मीरा लाल गिरधर चरणकंवल सीर॥
हरि तुम हरो जन की भीर।
द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढ़ायो चीर॥
एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Ki Aarti)
माँ अन्नपूर्णा की आरती (Maa Annapurna Ji Ki Aarti)
ना मन हूँ ना बुद्धि ना चित अहंकार: भजन (Na Mann Hun Na Buddhi Na Chit Ahankar)
नाम रामायणम (Nama Ramayanam)
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा - माँ काली भजन (Mangal Ki Sewa Sun Meri Deva)
पार्श्व एकादशी व्रत कथा! (Parshva Ekadashi Vrat Katha)
ले चल अपनी नागरिया, अवध बिहारी साँवरियाँ: भजन (Le Chal Apni Nagariya, Avadh Bihari Sanvariya)
मै हूँ बेटी तू है माता: भजन (Main Hoon Beti Tu Hai Mata)
तेरे चरण कमल में श्याम: भजन (Tere Charan Kamal Mein Shyam)
अरे द्वारपालों कहना से कह दो: भजन (Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do)
॥दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं॥ (Daridraya Dahana Shiv Stotram)
श्री विष्णु स्तुति - शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shri Vishnu Stuti - Shantakaram Bhujagashayanam)