धनवानों का मान है जग में.. (Dhanawanon Ka Mann Hai Jag Mein)
धनवानों का मान है जग में,
निर्धन का कोई मान नहीं ।
ए मेरे भगवन बता दे,
निर्धन क्या इन्सान नहीं ॥
पास किसी के हीरे मोती,
पास किसी के लंगोटी है ।
दूध मलाई खाए कोई,
कोई सूखी रोटी है ।
मुझे पता क्या तेरे राज्य में,
निर्धन का सम्मान नहीं ॥
धनवानों का मान है जग में,
निर्धन का कोई मान नहीं ।
ए मेरे भगवन बता दे,
निर्धन क्या इन्सान नहीं ॥
एक को सुख साधन,
फिर क्यों एक को दुःख देते हो ।
नंगे पाँव दौड़ लगाकर,
खबर किसी की लेते हो ।
लोग कहे भगवन तुझे,
पर में कहता भगवन नहीं ॥
धनवानों का मान है जग में,
निर्धन का कोई मान नहीं ।
ए मेरे भगवन बता दे,
निर्धन क्या इन्सान नहीं ॥
भक्ति करे जो तेरी वो,
बैतरनी को तर जाये ।
जो न सुमरे तुम्हे,
भंवर के जाल में वो फस जाये ।
पहले रिश्वत लिए तो तारे,
क्या इसमें अपमान नहीं ॥
धनवानों का मान है जग में,
निर्धन का कोई मान नहीं ।
ए मेरे भगवन बता दे,
निर्धन क्या इन्सान नहीं ॥
तेरी जगत की रित में है क्या,
हो जग के रखवाले ।
दे ना सको अगर सुख का साधन,
तो मुजको तू बुलवाले ।
अर्जी तेरे है बच्चो की,
तू भी तो अनजान नहीं ॥
धनवानों का मान है जग में,
निर्धन का कोई मान नहीं ।
ए मेरे भगवन बता दे,
निर्धन क्या इन्सान नहीं ॥
भजन: बोलो राम! मन में राम बसा ले। (Bolo Ram Man Me Ram Basa Le Bhajan)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 25 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 25)
राम तुम बड़े दयालु हो: भजन (Ram Tum Bade Dayalu Ho)
जय जय जननी श्री गणेश की: भजन (Jai Jai Janani Shri Ganesh ki)
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन: भजन (Bhajan: Hey Dukh Bhanjan Maruti Nandan)
देख लिया संसार हमने देख लिया (Dekh Liya Sansar Hamne Dekh Liya)
जिसको जीवन में मिला सत्संग है (Jisko jivan Main Mila Satsang Hai)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 20 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 20)
षटतिला एकादशी व्रत कथा (Shat Tila Ekadashi Vrat Katha)
भजन: श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी (Bhajan: Shri Krishna Govind Hare Murari)
गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा: भजन (Gauri Ke Nanda Gajanand Gauri Ke Nanda)
सकट चौथ व्रत कथा: एक साहूकार और साहूकारनी (Sakat Chauth Pauranik Vrat Katha - Ek Sahukar Aur Ek Sahukarni)