भजन: जिसने मरना सीखा लिया है (Jisane Marana Seekh Liya Hai)
जिसने मरना सीखा लिया है,
जीने का अधिकार उसी को ।
जो काँटों के पथ पर आया,
फूलों का उपहार उसी को ॥
जिसने गीत सजाये अपने
तलवारों के झन-झन स्वर पर
जिसने विप्लव राग अलापे
रिमझिम गोली के वर्षण पर
जो बलिदानों का प्रेमी है,
जगती का प्यार उसी को ॥
हँस-हँस कर इक मस्ती लेकर
जिसने सीखा है बलि होना
अपनी पीड़ा पर मुस्काना
औरों के कष्टों पर रोना
जिसने सहना सीख लिया है,
संकट है त्यौहार उसी को ॥
दुर्गमता लख बीहड़ पथ की
जो न कभी भी रुका कहीं पर
अनगिनती आघात सहे पर
जो न कभी भी झुका कहीं पर
झुका रहा है मस्तक अपना यह,
सारा संसार उसी को ॥
आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..: भजन (Ajaa Nand Ke Dulare)
भजन: काशी वाले, देवघर वाले, जय शम्भू। (Bhajan: Kashi Wale Devghar Wale Jai Shambu)
भजन: कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं! (Bhajan: Kalyug Mein Sidh Ho Dev Tumhin Hanuman)
रोहिणी शकट भेदन, दशरथ रचित शनि स्तोत्र कथा (Rohini Shakat Bhed Dasharath Rachit Shani Stotr Katha)
श्री हनुमान जी आरती (Shri Hanuman Ji Ki Aarti)
श्री सिद्धिविनायक आरती: जय देव जय देव (Shri Siddhivinayak Aarti: Jai Dev Jai Dev)
पंच परमेष्ठी आरती (Panch Parmeshthi Aarti)
माता सीता अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Sita Ashtottara Shatnam Namavali)
जो शिव को ध्याते है, शिव उनके है: भजन (Jo Shiv Ko Dhyate Hain Shiv Unke Hain)
रामा रामा रटते रटते, बीती रे उमरिया: भजन (Rama Rama Ratate Ratate)
जगदीश ज्ञान दाता: प्रार्थना (Jagadish Gyan Data: Prarthana)
भाद्रपद संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Bhadrapad Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)