जम्भेश्वर आरती: ओ३म् शब्द सोऽहं ध्यावे (Jambheshwar Aarti Om Shabd Sohan Dhyave)

ॐ शब्द सोऽहं ध्यावे,

स्वामी शब्द सोऽहं ध्यावे ।

धूप दीप ले आरती,

निज हरि गुण गावे ।



मंदिर मुकुट त्रिशुल ध्वजा,

धर्मों की फ हरावे ।

झालर शंख टिकोरा,

नौपत घुररावे ।



तीर्थ तालवे गुरु की समाधि,

परसे सुरग जावे ।

अड़सठ तीरथ को फ ल,

समराथल पावे ।



मंझ फ ागण शिवरात,

जातरी रलमिल सब आवे ।

झिगमिग जोत समराथल,

शिम्भू के मन भावे ।



धर्मी करे आनंद भवन पर,

पापी थररावे ।

राजव शरण गुरु की,

क्यूं मन भटकावे ।