इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझायें: भजन (Is Yogya Ham Kahan Hain, Guruwar Tumhen Rijhayen)
इस योग्य हम कहाँ हैं
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझायें ।
फिर भी मना रहे हैं,
शायद तु मान जाये ॥
जब से जनम लिया है,
विषयों ने हमको घेरा ।
छल और कपट ने डाला,
इस भोले मन पे डेरा ॥
सद्बुद्धि को अहं ने,
हरदम रखा दबाये ॥
निश्चय ही हम पतित हैं,
लोभी हैं लालची हैं ।
तेरा ध्यान जब लगायें,
माया पुकारती है ॥
सुख भोगने की इच्छा,
कभी तृप्त हो न पाये ॥
जग में जहाँ भी जायें,
बस एक ही चलन है ।
एक- दूसरे के सुख में,
खुद को बड़ी जलन है ॥
कर्मों का लेखा जोखा,
कोई समझ न पाये ॥
जब कुछ न कर सके तो,
तेरी शरण में आये ।
अपराध मानते हैं,
झेलते सब सजायें ॥
अब ज्ञान हम को दे दो,
कुछ और हम ना चाहें ॥
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार: भजन (Tera Ramji Karenge Bera Paar)
वृंदावनी वेणू: भजन (Vrindavani Venu)
शीतला माता की आरती (Sheetla Mata Ki Aarti)
कृपा की न होती जो, आदत तुम्हारी: भजन (Kirpa Ki Na Hoti Jo Addat Tumhari)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 3 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 3)
मैं दो-दो माँ का बेटा हूँ: भजन (Main Do-Do Maa Ka Beta Hun)
भजन: राम को देख कर के जनक नंदिनी, और सखी संवाद (Ram Ko Dekh Ke Janak Nandini Aur Sakhi Samvad)
शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर (Shiv Stuti: Ashutosh Shashank Shekhar)
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो (Prabhuji More Avgun Chit Naa Dharo)
सकट चौथ व्रत कथा: एक साहूकार और साहूकारनी (Sakat Chauth Pauranik Vrat Katha - Ek Sahukar Aur Ek Sahukarni)
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि (Mahishasura Mardini Stotram - Aigiri Nandini)
छठ पूजा: हो दीनानाथ - छठ पूजा गीत (Chhat Puja: Ho Deenanath Chhath Puja Songs)