इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझायें: भजन (Is Yogya Ham Kahan Hain, Guruwar Tumhen Rijhayen)
इस योग्य हम कहाँ हैं
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझायें ।
फिर भी मना रहे हैं,
शायद तु मान जाये ॥
जब से जनम लिया है,
विषयों ने हमको घेरा ।
छल और कपट ने डाला,
इस भोले मन पे डेरा ॥
सद्बुद्धि को अहं ने,
हरदम रखा दबाये ॥
निश्चय ही हम पतित हैं,
लोभी हैं लालची हैं ।
तेरा ध्यान जब लगायें,
माया पुकारती है ॥
सुख भोगने की इच्छा,
कभी तृप्त हो न पाये ॥
जग में जहाँ भी जायें,
बस एक ही चलन है ।
एक- दूसरे के सुख में,
खुद को बड़ी जलन है ॥
कर्मों का लेखा जोखा,
कोई समझ न पाये ॥
जब कुछ न कर सके तो,
तेरी शरण में आये ।
अपराध मानते हैं,
झेलते सब सजायें ॥
अब ज्ञान हम को दे दो,
कुछ और हम ना चाहें ॥
जयति जयति जग-निवास, शंकर सुखकारी (Jayati Jayati Jag Niwas Shankar Sukhkari)
बताओ कहाँ मिलेगा श्याम: भजन (Batao Kahan Milega Shyam)
सब में कोई ना कोई दोष रहा: भजन (Sab Main Koi Na Koi Dosh Raha)
चलो शिव शंकर के मंदिर में भक्तो: भजन (Chalo Shiv Shankar Ke Mandir Me Bhakto)
बारिशों की छम छम में - नवरात्रि भजन (Barisho Ki Cham Cham Mein)
शिव पूजा में मन लीन रहे मेरा: भजन (Shiv Puja Mai Mann Leen Rahe Mera)
नमामि श्री गणराज दयाल! (Namami Shri Ganraj Dayal)
इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat Katha)
श्री शनि अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Shani Ashtottara Shatnam Namavali)
विन्ध्येश्वरी आरती: सुन मेरी देवी पर्वतवासनी (Sun Meri Devi Parvat Vasani)
भजन: ज्योत से ज्योत जगाते चलो.. (Bhajan: Jyot Se Jyot Jagate Chalo)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 28 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 28)