महेश वंदना: किस विधि वंदन करू तिहारो (Kis Vidhi Vandan Karun Tiharo Aughardani)

किस विधि वंदन करू तिहारो,

औघड़दानी त्रिपुरारी

बलिहारी - बलिहारी

जय महेश बलिहारी ॥



नयन तीन उपवीत भुजंगा,

शशि ललाट सोहे सिर गंगा

मुंड माल गल बिच विराजत,

महिमा है भारी ।

बलिहारी - बलिहारी

जय महेश बलिहारी ॥ 1 ॥



कर में डमरू त्रिशुल तिहारे,

कटी में हर वाघंबर धारे

उमा सहित हीम शैल विराजत,

शोभा है न्यारी ।

बलिहारी - बलिहारी

जय महेश बलिहारी ॥ 2 ॥



पल में प्रभु तुम प्रलयंकर,

पर प्रभो सदय उभयंकर

ऋषी मुनि भेद न पाये तिहारो,

हम तो है संसारी ।

बलिहारी - बलिहारी

जय महेश बलिहारी ॥ 3 ॥



अगम निगम तब भेद न जाने,

ब्रम्हा विष्णु सदा शिव माने

देवो के ओ महादेव अब,

रक्षा करो हमारी ।

बलिहारी - बलिहारी

जय महेश बलिहारी ॥ 4 ॥



किस विधि वंदन करू तिहारो,

औघड़दानी त्रिपुरारी

बलिहारी - बलिहारी

जय महेश बलिहारी ॥