येषां न विद्या न तपो न दानं... (Yeshaan Na Vidya Na Tapo Na Danan)
येषां न विद्या न तपो न दानं,
ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मर्त्यलोके भुविभारभूता,
मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति॥
हिन्दी भावार्थ:
जिन लोगों के पास न तो विद्या है, न तप, न दान, न शील, न गुण और न धर्म।
वे लोग इस पृथ्वी पर भार हैं और मनुष्य के रूप में मृग/जानवर की तरह से घूमते रहते हैं।
श्री लक्ष्मी सुक्तम् - ॐ हिरण्यवर्णां हरिणींसुवर्णरजतस्रजाम् (Sri Lakshmi Suktam - Om Hiranya Varnam)
हे मुरलीधर छलिया मोहन: भजन (Hey Muralidhar Chhaliya Mohan)
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार: भजन (Duniya Se Jab Main Hara Too Aaya Tere Dwar)
शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा (Shukravar Santoshi Mata Vrat Katha)
तू प्यार का सागर है (Tu Pyar Ka Sagar Hai)
मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha)
होली खेल रहे नंदलाल: होली भजन (Holi Bhajan: Holi Khel Rahe Nandlal)
नमस्कार भगवन तुम्हें भक्तों का बारम्बार हो: भजन (Namaskar Bhagwan Tumhe Bhakton Ka Barambar Ho)
तुलसी विवाह पौराणिक कथा (Tulsi Vivah Pauranik Katha)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 27 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 27)
आमलकी एकादशी व्रत कथा (Amalaki Ekadashi Vrat Katha)
श्री हनुमान-बालाजी भजन (Shri Hanuman-Balaji Bhajan)