मन मोहन मूरत तेरी प्रभु: भजन (Mann Mohan Murat Teri Prabhu)

मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,

मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ।

यदि चाह हमारे दिल में है,

तूम्‍हे ढूँढ ही लेंगे कहीं ना कहीं ॥




काशी मथुरा वृंदावन में,


या अवधपुरी की गलियन में ।


गंगा यमुना सरयू तट पर,


मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ॥

मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,

मन मोहन मूरत तेरी प्रभु ।




घर बार को छोड संयासी हुए,


सबको परित्‍याग उदासी हुए ।


छानेगें वन-वन खा‍क तेरी,


मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ॥

मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,

मन मोहन मूरत तेरी प्रभु ।




सब भक्‍त तुम्हीं को घेरेंगे,


तेरे नाम की माला फरेंगे ।


जब आप ही खुद सरमाओगे,


हमें दर्शन दोगे कहीं ना कहीं ॥

मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,

मन मोहन मूरत तेरी प्रभु ।



मन मोहन मूरत तेरी प्रभु,

मिल जाओगे आप कहीं ना कहीं ।

यदि चाह हमारे दिल में है,

तूम्‍हे ढूँढ ही लेंगे कहीं ना कहीं ॥

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