आरती: श्री रामचन्द्र जी (Shri Ramchandra Ji 2)
श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से की जाने वाली आरती।
आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥
सच्चा है माँ का दरबार, मैय्या का जवाब नहीं: भजन (Saccha Hai Maa Ka Darbar, Maiya Ka Jawab Nahi)
श्री शनि अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Shani Ashtottara Shatnam Namavali)
श्री सूर्य देव - जय जय रविदेव। (Shri Surya Dev - Jai Jai Ravidev)
अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha)
श्री विष्णु स्तुति - शान्ताकारं भुजंगशयनं (Shri Vishnu Stuti - Shantakaram Bhujagashayanam)
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी: भजन (Darshan Do Ghansyam Nath Mori Akhiyan Pyasi Re)
आर्य समाज प्रेरक भजन (Arya Samaj Motivational Bhajans)
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ (Shiv Shankar Ko Jisne Pooja)
जिन पर कृपा राम करे: भजन (Jin Par Kirpa Ram Kare)
श्री शिवमङ्गलाष्टकम् (Shiv Mangalashtakam)
गंगा के खड़े किनारे, भगवान् मांग रहे नैया: भजन (Ganga Ke Khade Kinare Bhagwan Mang Rahe Naiya)
कथा: हनुमान गाथा (Katha Hanuman Gatha)