सवारिये ने भूलूं न एक घडी! (Sanwariye Ne Bhule Naa Ek Ghadi)
पूरन ब्रह्म पूरन ज्ञान
है घाट माई, सो आयो रहा आनन्द
और सुनी मुनि जन, पढ़त वेद शास्त्र अंग
मारी जनम गोकुल मे घटे
मिटत सब दुःख दुःख
आज को आनंद आनंद आनंद
आज ही आनंद आनंद आनंद
मथुरा नगर मे, जनम पायो
हो मथुरा नगर मे, जनम पायो
हो खेलत खेले गोकुल री गली
सवारिये ने भूलूं न एक घडी
हो भूलूं न एक घडी, सवारिये भूलूं न एक घडी...
हो खेले गोकुल पूरी गली
सावरिये ने भूलूं न एक घडी
कृषण जी को भूलूं न एक घडी
हो भूलूं न एक घडी, सवारिये भूलूं न एक घडी..
मात यशोदा पालन हीडोले
हाथ मे रेशम री छड़ी
सावरिये ने भूलूं ने एक घडी
कृषण (कृष्णा) जी को भूलूं न एक घडी
कानु (कृष्णा) मारे जीव री झड़ी
सावरिये ने भूलूं ने एक घडी
कृषण जी को भूलूं न एक घडी
मात यशोदा दहिड़ो बिलोवे
हो हाथ में माखन री डली
सावरिये ने भूलूं ने एक घडी
कृषण जी को भूलूं न एक घडी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
हो खोजो खोजो खबर बड़ी
बालुड़े ने भूलूं न एक घडी
कानु (कृष्णा) मारे जीव री झड़ी
सावरिये ने भूलूं ने एक घडी
कृषण जी को भूलूं न एक घडी
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