नाम रामायणम (Nama Ramayanam)
गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस, उत्तर भारत में अधिक प्रसिद्ध है। गोस्वामी तुलसीदासजी कृत संपूर्ण रामायण का पाठ करने में कुछ दिन का समय लग सकता है। और कई बार समय की कमी के कारण एक ही बैठक में संपूर्ण रामायण का पाठ करना संभव नहीं हो पाता है।
नाम रामायणम
संस्कृत में ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखित महाकाव्य रामायण का सघन संस्करण है। नाम रामायणम में 108 श्लोक हैं, और रामायण के ही समान नाम रामायणम के भी सात अध्याय हैं, जो क्रमशः बालकाण्ड, अयोध्याकांड, किष्किन्धाकाण्ड, सुंदरकांड, युद्धकांड और उत्तराखंड में विभाजित हैं।
नाम रामायणम दक्षिण भारतीय राज्यों अर्थात तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल में बहुत लोकप्रिय है। हिंदी भाषी क्षेत्रों में रामचरितमानस की लोकप्रियता के कारण, उत्तर भारतीय राज्यों में नाम रामायणम कम लोकप्रिय है।
॥ बालकाण्डः ॥
शुद्धब्रह्मपरात्पर राम् ॥ १ ॥
कालात्मकपरमेश्वर राम् ॥ २ ॥
शेषतल्पसुखनिद्रित राम् ॥ ३ ॥
ब्रह्माद्यामरप्रार्थित राम् ॥ ४ ॥
चण्डकिरणकुलमण्डन राम् ॥ ५ ॥
श्रीमद्दशरथनन्दन राम् ॥ ६ ॥
कौसल्यासुखवर्धन राम् ॥ ७ ॥
विश्वामित्रप्रियधन राम् ॥ ८ ॥
घोरताटकाघातक राम् ॥ ९ ॥
मारीचादिनिपातक राम् ॥ १० ॥
कौशिकमखसंरक्षक राम् ॥ ११ ॥
श्रीमदहल्योद्धारक राम् ॥ १२ ॥
गौतममुनिसम्पूजित राम् ॥ १३ ॥
सुरमुनिवरगणसंस्तुत राम् ॥ १४ ॥
नाविकधावितमृदुपद राम् ॥ १५ ॥
मिथिलापुरजनमोहक राम् ॥ १६ ॥
विदेहमानसरञ्जक राम् ॥ १७ ॥
त्र्यम्बककार्मुकभञ्जक राम् ॥ १८ ॥
सीतार्पितवरमालिक राम् ॥ १९ ॥
कृतवैवाहिककौतुक राम् ॥ २० ॥
भार्गवदर्पविनाशक राम् ॥ २१ ॥
श्रीमदयोध्यापालक राम् ॥ २२ ॥
राम् राम् जय राजा राम्।
राम् राम् जय सीता राम् ॥
॥ अयोध्याकाण्डः ॥
अगणितगुणगणभूषित राम् ॥ २३ ॥
अवनीतनयाकामित राम् ॥ २४ ॥
राकाचन्द्रसमानन राम् ॥ २५ ॥
पितृवाक्याश्रितकानन राम् ॥ २६ ॥
प्रियगुहविनिवेदितपद राम् ॥ २७ ॥
तत्क्षालितनिजमृदुपद राम् ॥ २८ ॥
भरद्वाजमुखानन्दक राम् ॥ २९ ॥
चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम् ॥ ३० ॥
दशरथसन्ततचिन्तित राम् ॥ ३१ ॥
कैकेयीतनयार्थित राम् ॥ ३२ ॥
विरचितनिजपितृकर्मक राम् ॥ ३३ ॥
भरतार्पितनिजपादुक राम् ॥ ३४ ॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम् ॥
॥ अरण्यकाण्डः ॥
दण्डकवनजनपावन राम् ॥ ३५ ॥
दुष्टविराधविनाशन राम् ॥ ३६ ॥
शरभङ्गसुतीक्ष्णार्चित राम् ॥ ३७ ॥
अगस्त्यानुग्रहवर्धित राम् ॥ ३८ ॥
गृध्राधिपसंसेवित राम् ॥ ३९ ॥
पञ्चवटीतटसुस्थित राम् ॥ ४० ॥
शूर्पणखार्तिविधायक राम् ॥ ४१ ॥
खरदूषणमुखसूदक राम् ॥ ४२ ॥
सीताप्रियहरिणानुग राम् ॥ ४३ ॥
मारीचार्तिकृदाशुग राम् ॥ ४४ ॥
विनष्टसीतान्वेषक राम् ॥ ४५ ॥
गृध्राधिपगतिदायक राम् ॥ ४६ ॥
शबरीदत्तफलाशन राम् ॥ ४७ ॥
कबन्धबाहुच्छेदक राम् ॥ ४८ ॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम् ॥
॥ किष्किन्धाकाण्डः ॥
हनुमत्सेवितनिजपद राम् ॥ ४९ ॥
नतसुग्रीवाभीष्टद राम् ॥ ५० ॥
गर्वितवालिसंहारक राम् ॥ ५१ ॥
वानरदूतप्रेषक राम् ॥ ५२ ॥
हितकरलक्ष्मणसंयुत राम् ॥ ५३ ॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम् ॥
॥ सुन्दरकाण्डः ॥
कपिवरसन्ततसंस्मृत राम् ॥ ५४ ॥
तद्गतिविघ्नध्वंसक राम् ॥ ५५ ॥
सीताप्राणाधारक राम् ॥ ५६ ॥
दुष्टदशाननदूषित राम् ॥ ५७ ॥
शिष्टहनूमद्भूषित राम् ॥ ५८ ॥
सीतावेदितकाकावन राम् ॥ ५९ ॥
कृतचूडामणिदर्शन राम् ॥ ६० ॥
कपिवरवचनाश्वासित राम् ॥ ६१ ॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम् ॥
॥ युद्धकाण्डः ॥
रावणनिधनप्रस्थित राम् ॥ ६२ ॥
वानरसैन्यसमावृत राम् ॥ ६३ ॥
शोषितसरिदीशार्थित राम् ॥ ६४ ॥
विभीषणाभयदायक राम् ॥ ६५ ॥
पर्वतसेतुनिबन्धक राम् ॥ ६६ ॥
कुम्भकर्णशिरच्छेदक राम् ॥ ६७ ॥
राक्षससङ्घविमर्दक राम् ॥ ६८ ॥
अहिमहिरावणचारण राम् ॥ ६९ ॥
संहृतदशमुखरावण राम् ॥ ७० ॥
विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम् ॥ ७१ ॥
खस्थितदशरथवीक्षित राम् ॥ ७२ ॥
सीतादर्शनमोदित राम् ॥ ७३ ॥
अभिषिक्तविभीषणनत राम् ॥ ७४ ॥
पुष्पकयानारोहण राम् ॥ ७५ ॥
भरद्वाजादिनिषेवण राम् ॥ ७६ ॥
भरतप्राणप्रियकर राम् ॥ ७७ ॥
साकेतपुरीभूषण राम् ॥ ७८ ॥
सकलस्वीयसमानत राम् ॥ ७९ ॥
रत्नलसत्पीठास्थित राम् ॥ ८० ॥
पट्टाभिषेकालङ्कृत राम् ॥ ८१ ॥
पार्थिवकुलसम्मानित राम् ॥ ८२ ॥
विभीषणार्पितरङ्गक राम् ॥ ८३ ॥
कीशकुलानुग्रहकर राम् ॥ ८४ ॥
सकलजीवसंरक्षक राम् ॥ ८५ ॥
समस्तलोकाधारक राम् ॥ ८६ ॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम् ॥
॥ उत्तरकाण्डः ॥
आगतमुनिगणसंस्तुत राम् ॥ ८७ ॥
विश्रुतदशकण्ठोद्भव राम् ॥ ८८ ॥
सीतालिङ्गननिर्वृत राम् ॥ ८९ ॥
नीतिसुरक्षितजनपद राम् ॥ ९० ॥
विपिनत्याजितजनकज राम् ॥ ९१ ॥
कारितलवणासुरवध राम् ॥ ९२ ॥
स्वर्गतशम्बुकसंस्तुत राम् ॥ ९३ ॥
स्वतनयकुशलवनन्दित राम् ॥ ९४ ॥
अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम् ॥ ९५ ॥
कालावेदितसुरपद राम् ॥ ९६ ॥
आयोध्यकजनमुक्तिद राम् ॥ ९७ ॥
विधिमुखविबुधानन्दक राम् ॥ ९८ ॥
तेजोमयनिजरूपक राम् ॥ ९९ ॥
संसृतिबन्धविमोचक राम् ॥ १०० ॥
धर्मस्थापनतत्पर राम् ॥ १०१ ॥
भक्तिपरायणमुक्तिद राम् ॥ १०२ ॥
सर्वचराचरपालक राम् ॥ १०३ ॥
सर्वभवामयवारक राम् ॥ १०४ ॥
वैकुण्ठालयसंस्थित राम् ॥ १०५ ॥
नित्यानन्दपदस्थित राम् ॥ १०६ ॥
राम् राम् जय राजा राम् ॥ १०७ ॥
राम् राम् जय सीता राम् ॥ १०८ ॥
राम् राम् जय राजा राम् ।
राम् राम् जय सीता राम् ॥
॥ इति नामरामायणम् सम्पूर्णम् ॥
जय जय जननी श्री गणेश की: भजन (Jai Jai Janani Shri Ganesh ki)
भाद्रपद संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Bhadrapad Sankashti Ganesh Chaturthi Vrat Katha)
अजा एकादशी व्रत कथा! (Aja Ekadashi Vrat Katha)
श्री कृष्णाष्टकम् - आदि शंकराचार्य (Krishnashtakam By Adi Shankaracharya)
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी: भजन (Darshan Do Ghansyam Nath Mori Akhiyan Pyasi Re)
भजन: राम सिया राम, सिया राम जय जय राम! (Ram Siya Ram Siya Ram Jai Jai Ram)
इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat Katha)
महा शिवरात्रि पूजन पौराणिक व्रत कथा (Maha Shivaratri Pujan Pauranik Vrat Katha)
संकट के साथी को हनुमान कहते हैं: भजन (Sankat Ke Sathi Ko Hanuman Kahate Hain)
आरती: श्री महावीर भगवान | जय सन्मति देवा (Shri Mahaveer Bhagwan 3 Jai Sanmati Deva)
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल: भजन (Shri Govardhan Wasi Sanwarey Lal)
जो भजे हरि को सदा: भजन (Jo Bhaje Hari Ko Sada So Hi Param Pada Pavega)