अम्बे तू है जगदम्बे काली: माँ दुर्गा, माँ काली आरती (Maa Durga Maa Kali Aarti)

माँ दुर्गे का साप्ताहिक दिन शुक्रवार, दोनों नवरात्रि, अष्टमी, माता की चौकी एवं जगराते में सबसे अधिक गाई जाने वाली आरती।



अम्बे तू है जगदम्बे काली,

जय दुर्गे खप्पर वाली ।

तेरे ही गुण गाये भारती,

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥




तेरे भक्त जनो पर,


भीर पडी है भारी माँ ।


दानव दल पर टूट पडो,


माँ करके सिंह सवारी ।


सौ-सौ सिंहो से बलशाली,


अष्ट भुजाओ वाली,


दुष्टो को पलमे संहारती ।


ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥




अम्बे तू है जगदम्बे काली,


जय दुर्गे खप्पर वाली ।


तेरे ही गुण गाये भारती,


ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥



माँ बेटे का है इस जग मे,

बडा ही निर्मल नाता ।

पूत - कपूत सुने है पर न,

माता सुनी कुमाता ॥

सब पे करूणा दरसाने वाली,

अमृत बरसाने वाली,

दुखियो के दुखडे निवारती ।

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥




अम्बे तू है जगदम्बे काली,


जय दुर्गे खप्पर वाली ।


तेरे ही गुण गाये भारती,


ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥




नही मांगते धन और दौलत,


न चांदी न सोना माँ ।


हम तो मांगे माँ तेरे मन मे,


इक छोटा सा कोना ॥


सबकी बिगडी बनाने वाली,


लाज बचाने वाली,


सतियो के सत को सवांरती ।


ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥




अम्बे तू है जगदम्बे काली,


जय दुर्गे खप्पर वाली ।


तेरे ही गुण गाये भारती,


ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥



----- Addition ----

चरण शरण मे खडे तुम्हारी,

ले पूजा की थाली ।

वरद हस्त सर पर रख दो,

मॉ सकंट हरने वाली ।

मॉ भर दो भक्ति रस प्याली,

अष्ट भुजाओ वाली,

भक्तो के कारज तू ही सारती ।

ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥




अम्बे तू है जगदम्बे काली,


जय दुर्गे खप्पर वाली ।


तेरे ही गुण गाये भारती,


ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥




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