कर प्रणाम तेरे चरणों में: प्रार्थना (Kar Pranam Tere Charno Me: Morning Prarthana)

प्रातःकाल की प्रार्थना

कर प्रणाम तेरे चरणों में लगता हूं अब तेरे काज ।

पालन करने को आज्ञा तब मैं नियुक्त होता हूं आज ॥



अन्तर में स्थित रह मेरी बागडोर पकड़े रहना ।

निपट निरंकुश चंचल मन को सावधान करते रहना ॥



अन्तर्यामी को अन्तः स्थित देख सशंकित होवे मन ।

पाप वासना उठते ही हो, नाश लाज से वह जल भुन ॥



जीवों का कलरव जो दिन भर सुनने में मेरे आवे ।

तेरा ही गुनमान जान मन प्रमुदित हो अति सुख पावे ॥



तू ही है सर्वत्र व्याप्त हरि ! तुझमें यह सारा संसार ।

इसी भावना से अन्तर भर मिलूं सभी से तुझे निहार ॥



प्रतिपल निज इन्द्रिय समूह से जो कुछ भी आचार करूं ।

केवल तुझे रिझाने, को बस तेरा ही व्यवहार करूं ॥

महादेव शंकर हैं जग से निराले: भजन (Mahadev Shankar Hain Jag Se Nirale)

प्रार्थना: तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो (Prayer Tumhi Ho Mata Pita Tumhi Ho )

श्री गोवर्धन महाराज आरती (Shri Govardhan Maharaj)

कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती (Kanakadhara Stotram: Angam Hareh Pulaka Bhusanam Aashrayanti)

तू मेरा राखा सबनी थाई: गुरुवाणी शब्द कीर्तन (Tu Mera Rakha Sabni Thai)

भजन करो मित्र मिला आश्रम नरतन का: भजन (Bhajan Karo Mitra Mila Ashram Nartan Ka)

दूसरों का दुखड़ा दूर करने वाले: भजन (Doosron Ka Dukhda Door Karne Wale)

श्री शङ्कराचार्य कृतं - वेदसारशिवस्तोत्रम् (Vedsara Shiv Stotram)

मैं तो अपने मोहन की प्यारी: भजन (Me Too Apne Mohan Ki Pyari, Sajan Mero Girdhari)

हरि नाम नहीं तो जीना क्या: भजन (Hari Nam Nahi Too Jeena Kya)

सकट चौथ पौराणिक व्रत कथा - श्री महादेवजी पार्वती (Sakat Chauth Pauranik Vrat Katha - Shri Mahadev Parvati)

मेरे मन के अंध तमस में: भजन (Mere Man Ke Andh Tamas Me Jyotirmayi Utaro)