श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् (Vindhyeshwari Stotram)
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी,
प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
त्रिशूल मुण्ड धारिणी,
धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
दरिद्र दुःख हारिणी,
सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं,
लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कराब्जदानदाधरां,
शिवाशिवां प्रदायिनी ।
वरा-वराननां शुभां,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कपीन्द्न जामिनीप्रदां,
त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
विशिष्ट शिष्ट कारिणी,
विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
पुंरदरादि सेवितां,
पुरादिवंशखण्डितम् ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं,
भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥
अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Aarti)
श्री गौमता जी की आरती (Shri Gaumata Ji Ki Aarti)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 10 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 10)
भजन: दिया थाली बिच जलता है.. (Diya Thali Vich Jalta Hai)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 4 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 4)
भजन: कभी धूप कभी छाँव (Kabhi Dhoop Kabhi Chhaon)
श्री गणेश आरती (Shri Ganesh Aarti)
आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको: भजन (Aali Ri Mohe Lage Vrindavan Neeko)
श्री बृहस्पति देव की आरती (Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti)
आरती: ॐ जय महावीर प्रभु (Om Jai Mahavir Prabhu)
भजन: तेरा किसने किया श्रृंगार सांवरे (Tera Kisne Kiya Shringar Sanware)
श्री ललिता माता की आरती (Shri Lalita Mata Ki Aarti)