होता है सारे विश्व का, कल्याण यज्ञ से। (Hota Hai Sare Vishwa Ka Kalyan Yajya Se)
होता है सारे विश्व का, कल्याण यज्ञ से।
जल्दी प्रसन्न होते हैं, भगवान् यज्ञ से॥
ऋषियों ने ऊँचा माना है, स्थान यज्ञ का।
भगवान् का यह यज्ञ है, भगवान यज्ञ का।
जाता है देवलोक में, इन्सान यज्ञ से॥
॥होता है सारे विश्व का...॥
जो कुछ भी डालो यज्ञ में, खाते हैं अग्निदेव।
एक-एक के बदले सौ-सौ, दिलाते हैं अग्निदेव।
पैदा अनाज करते हैं, भगवान् यज्ञ से॥
॥होता है सारे विश्व का...॥
होता है कन्यादान भी, इसके ही सामने।
पूजा है इसको कृष्ण ने, भगवान् राम ने।
मिलती है राजकीर्ति व सन्तान यज्ञ से॥
॥होता है सारे विश्व का...॥
इसका पुजारी कोई, पराजित नहीं होता।
इसके पुजारी को कोई भी, भय नहीं होता।
होती है सारी मुश्किलें, आसान यज्ञ से॥
॥होता है सारे विश्व का...॥
चाहे अमीर हो कोई, चाहे गरीब है।
जो नित्य यज्ञ करता है, वह खुश नसीब है।
उपकारी मनुज बनता है, देवयज्ञ से॥
॥होता है सारे विश्व का...॥
॥मुक्तक॥
यज्ञ पिता हैं सुर-संस्कृति के, यज्ञ सृष्टिï के निर्माता हैं।
इसीलिए हर संस्कार में, आवश्यक समझा जाता है॥
देवशक्तियाँ यज्ञदेव, द्वारा ही तो प्रसन्न होती हैं।
जीवन, प्राण, धान्य, समृद्धि, यश, वैभव ‘होता’ पाता है॥
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