फंसी भंवर में थी मेरी नैया - श्री श्याम भजन (Fansi Bhanwar Me Thi Meri Naiya)

फंसी भंवर में थी मेरी नैया,

चलाई तूने तो चल पड़ी है ।

पड़ी जो सोई थी मेरी किस्मत,

पड़ी जो सोई थी मेरी किस्मत,

वो मौज करने निकल पड़ी है ॥



फंसी भंवर में थी मेरी नैया,

चलाई तूने तो चल पड़ी है।



भरोसा था मुझको मेरे बाबा,

यकीन था तेरी रहमतों पे ।

था बैठा चोखट पे तेरी कब से,

था बैठा चोखट पे तेरी कब से,

निगाहें निर्धन पे अब पड़ी है ॥



फंसी भंवर में थी मेरी नैया,

चलाई तूने तो चल पड़ी है ।



सजाऊँ तुझको निहारूँ तुझको,

पखारूँ चरणों को मैं श्याम तेरे ।

मैं नाचूँ बनकर के मोर बाबा,

मैं नाचूँ बनकर के मोर बाबा,

ये भावनाएं मचल पड़ी है ॥



फंसी भंवर में थी मेरी नैया,

चलाई तूने तो चल पड़ी है ।



हँसे या कुछ भी कहे जमाना,

जो रूठे तो कोई गम नही है ।

मगर जो रूठा तू बाबा मुझसे,

मगर जो रूठा तू बाबा मुझसे,

बहेगी अश्को की ये झड़ी है ॥



फंसी भंवर में थी मेरी नैया,

चलाई तूने तो चल पड़ी है ।



फंसी भंवर में थी मेरी नैया,

चलाई तूने तो चल पड़ी है ।

पड़ी जो सोई थी मेरी किस्मत,

पड़ी जो सोई थी मेरी किस्मत,

वो मौज करने निकल पड़ी है ॥



फंसी भंवर में थी मेरी नैया,

चलाई तूने तो चल पड़ी है ।