भजन: तुम से लागी लगन.. पारस प्यारा (Tumse Lagi Lagan Le Lo Apni Sharan Paras Pyara)
तुम से लागी लगन,
ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो मेटो जी संकट हमारा ।
निशदिन तुमको जपूँ,
पर से नेह तजूँ, जीवन सारा,
तेरे चरणों में बीत हमारा ॥टेक॥
अश्वसेन के राजदुलारे,
वामा देवी के सुत प्राण प्यारे।
सबसे नेह तोड़ा,
जग से मुँह को मोड़ा,
संयम धारा ॥
मेटो मेटो जी संकट हमारा ॥
इंद्र और धरणेन्द्र भी आए,
देवी पद्मावती मंगल गाए ।
आशा पूरो सदा,
दुःख नहीं पावे कदा,
सेवक थारा ॥
मेटो मेटो जी संकट हमारा ॥
जग के दुःख की तो परवाह नहीं है,
स्वर्ग सुख की भी चाह नहीं है।
मेटो जामन मरण,
होवे ऐसा यतन,
पारस प्यारा ॥
मेटो मेटो जी संकट हमारा ॥
लाखों बार तुम्हें शीश नवाऊँ,
जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ ।
‘पंकज’ व्याकुल भया,
दर्शन बिन ये जिया लागे खारा ॥
मेटो मेटो जी संकट हमारा ॥
तुम से लागी लगन,
ले लो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो मेटो जी संकट हमारा ।
भजन: जय हो शिव भोला भंडारी! (Jai Ho Shiv Bhola Bhandari Lela Aprampar Tumhari Bhajan)
पंच परमेष्ठी आरती (Panch Parmeshthi Aarti)
जगत के रंग क्या देखूं: भजन (Jagat Ke Rang Kya Dekhun)
हाथी का शीश ही क्यों श्रीगणेश के लगा? (Hathi Ka Sheesh Hi Kiyon Shri Ganesh Ke Laga?)
वंदना: ज्ञान का दान ही सबसे बड़ा हैं (Gyan Ka Daan Hi Sabse Bada Hai)
करती हूँ तुम्हारा व्रत मैं - माँ संतोषी भजन (Karti Hu Tumhara Vrat Main)
आमलकी एकादशी व्रत कथा (Amalaki Ekadashi Vrat Katha)
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे! (Kabhi Fursat Ho To Jagdambe)
भजन: कलियुग में सिद्ध हो देव तुम्हीं! (Bhajan: Kalyug Mein Sidh Ho Dev Tumhin Hanuman)
श्री सिद्धिविनायक आरती: जय देव जय देव (Shri Siddhivinayak Aarti: Jai Dev Jai Dev)
षटतिला एकादशी व्रत कथा (Shat Tila Ekadashi Vrat Katha)
भजन: हरि तुम हरो जन की भीर... (Hari Tum Haro Jan Ki Bhir)