वो काला एक बांसुरी वाला: भजन (Wo Kala Ek Bansuri Wala)

वो काला एक बांसुरी वाला,

सुध बिसरा गया मोरी रे ।

माखन चोर वो नंदकिशोर जो,

कर गयो मन की चोरी रे ॥



पनघट पे मोरी बईया मरोड़ी,

मैं बोली तो मेरी मटकी फोड़ी ।

पईया परूँ करूँ बीनता मैं पर,

माने ना वो एक मोरे रे ॥



छुप गयो फिर एक तान सुना के,

कहाँ गयो एक बाण चला के ।

गोकुल ढूंढा मैंने मथुरा ढूंढी,

कोई नगरिया ना छोड़ी रे ॥

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