भगवान श्री कुबेर जी आरती (Bhagwan Shri Kuber Ji Aarti)

भारत के सबसे बड़े त्यौहार दीपावली का शुभ आरंभ धनतेरस से होता है, धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी,
भगवान कुबेर
एवं श्री गणेश की पूजा-आरती प्रमुखता से की जाती है।



ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,

स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।

शरण पड़े भगतों के,

भण्डार कुबेर भरे ।

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥



शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,

स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।

दैत्य दानव मानव से,

कई-कई युद्ध लड़े ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥



स्वर्ण सिंहासन बैठे,

सिर पर छत्र फिरे,

स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।

योगिनी मंगल गावैं,

सब जय जय कार करैं ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥



गदा त्रिशूल हाथ में,

शस्त्र बहुत धरे,

स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।

दुख भय संकट मोचन,

धनुष टंकार करें ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥



भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,

स्वामी व्यंजन बहुत बने ।

मोहन भोग लगावैं,

साथ में उड़द चने ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥



बल बुद्धि विद्या दाता,

हम तेरी शरण पड़े,

स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।

अपने भक्त जनों के,

सारे काम संवारे ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥



मुकुट मणी की शोभा,

मोतियन हार गले,

स्वामी मोतियन हार गले ।

अगर कपूर की बाती,

घी की जोत जले ॥

॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥



यक्ष कुबेर जी की आरती,

जो कोई नर गावे,

स्वामी जो कोई नर गावे ।

कहत प्रेमपाल स्वामी,

मनवांछित फल पावे ॥

॥ इति श्री कुबेर आरती ॥

श्री श्रीगुर्वष्टक (iskcon Sri Sri Guruvashtak)

भजन: कुमार मैने देखे, सुंदर सखी दो कुमार! (Bhajan: Kumar Maine Dekhe, Sundar Sakhi Do Kumar)

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा (Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha)

मैं परदेशी हूँ पहली बार आया हूँ: भजन (Main Pardesi Hun Pehli Bar Aaya Hun)

जिसको जीवन में मिला सत्संग है (Jisko jivan Main Mila Satsang Hai)

श्री कुबेर अष्टोत्तर शतनामावली - 108 नाम (Shri Kuber Ashtottara Shatanamavali - 108 Names)

भजन: हम सब मिलके आये, दाता तेरे दरबार (Hum Sab Milke Aaye Data Tere Darbar)

जन्माष्टमी भजन: ढँक लै यशोदा नजर लग जाएगी (Dhank Lai Yashoda Najar Lag Jayegi)

पापमोचनी एकादशी व्रत कथा (Papmochani Ekadashi Vrat Katha)

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार - भजन (Ab Saump Diya Is Jeevan Ka Sab Bhar Tumhare Hathon Me)

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 26 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 26)

पाण्डव निर्जला एकादशी व्रत कथा! (Nirjala Ekadashi Vrat Katha)