श्री झूलेलाल आरती- ॐ जय दूलह देवा! (Shri Jhulelal Om Jai Doolah Deva)

चेटी चंड जैसे त्यौहारों तथा सिंधी समाज के अन्य कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा गाई जाने वाली आरती। भगवान झूलेलाल के प्रत्येक मंदिर में यह आरती सुवह-शाम अवश्य गायी जाती है। भगवान झूलेलाल को लाल साई, उदेरो लाल, वरुण देव, दूलह लाल, दरिया लाल और जिंदा पीर भी कहा जाता है।



ॐ जय दूलह देवा,

साईं जय दूलह देवा ।

पूजा कनि था प्रेमी,

सिदुक रखी सेवा ॥



तुहिंजे दर दे केई,

सजण अचनि सवाली ।

दान वठन सभु दिलि,

सां कोन दिठुभ खाली ॥

॥ ॐ जय दूलह देवा...॥



अंधड़नि खे दिनव,

अखडियूँ - दुखियनि खे दारुं ।

पाए मन जूं मुरादूं,

सेवक कनि थारू ॥

॥ ॐ जय दूलह देवा...॥



फल फूलमेवा सब्जिऊ,

पोखनि मंझि पचिन ।

तुहिजे महिर मयासा अन्न,

बि आपर अपार थियनी ॥

॥ ॐ जय दूलह देवा...॥



ज्योति जगे थी जगु में,

लाल तुहिंजी लाली ।

अमरलाल अचु मूं वटी,

हे विश्व संदा वाली ॥

॥ ॐ जय दूलह देवा...॥



जगु जा जीव सभेई,

पाणिअ बिन प्यास ।

जेठानंद आनंद कर,

पूरन करियो आशा ॥



ॐ जय दूलह देवा,

साईं जय दूलह देवा ।

पूजा कनि था प्रेमी,

सिदुक रखी सेवा ॥

जो भजे हरि को सदा: भजन (Jo Bhaje Hari Ko Sada So Hi Param Pada Pavega)

भजन: बांके बिहारी कृष्ण मुरारी (Banke Bihari Krishan Murari)

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 18 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 18)

लड्डू गोपाल मेरा, छोटा सा है लला मेरा.. (Laddu Gopal Mera Chota Sa Hai Lalaa)

भजन: बेटा जो बुलाए माँ को आना चाहिए (Beta Jo Bulaye Maa Ko Aana Chahiye)

जगत में कोई ना परमानेंट: भजन (Jagat Me Koi Na Permanent)

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा (Purushottam Mas Mahatmya Katha)

फंसी भंवर में थी मेरी नैया - श्री श्याम भजन (Fansi Bhanwar Me Thi Meri Naiya)

अम्बे तू है जगदम्बे काली: माँ दुर्गा, माँ काली आरती (Maa Durga Maa Kali Aarti)

जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया (Jinka Maiya Ji Ke Charno Se Sabandh Hogaya)

वंदना: ज्ञान का दान ही सबसे बड़ा हैं (Gyan Ka Daan Hi Sabse Bada Hai)

जन्माष्टमी भजन: नन्द के आनंद भयो (Nand Ke Anand Bhayo)