जो भजे हरि को सदा: भजन (Jo Bhaje Hari Ko Sada So Hi Param Pada Pavega)

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा



देह के माला,

तिलक और भस्म,

नहिं कुछ काम के

प्रेम भक्ति के बिना नहिं नाथ के मन भायेगा



सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा



दिल के दर्पण को,

सफ़ा कर,

दूर कर अभिमान को

खाक हो,

गुरु के चरण की,

तो प्रभु मिल जायेगा



सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा



छोड़ दुनिया के,

मज़े और बैठ,

कर एकांत में

ध्यान धर,

हरि के चरण का,

फिर जनम नहीं पायेगा



सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा



दृढ़ भरोसा,

मन में रख कर,

जो भजे हरि नाम को

कहत ब्रह्मानंद,

ब्रह्मानंद में ही समायेगा



सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा

जो भजे हरि को सदा,

जो भजे हरि को सदा,

सोहि परम पद पायेगा



सोहि परम पद पायेगा

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