सबसे ऊंची प्रेम सगाई: भजन (Bhajan: Sabse Unchi Prem Sagai)

सबसे ऊंची प्रेम सगाई,

सबसे ऊंची प्रेम सगाई ।



दुर्योधन के मेवा त्याग्यो,

साग विदुर घर खाई ।

सबसे ऊंची प्रेम सगाई ।



जूठे फल शबरी के खाये,

बहु विधि स्वाद बताई ।

सबसे ऊंची प्रेम सगाई ।



राजसूय यज्ञ युधिष्ठिर कीन्हा,

तामे जूठ उठाई ।

सबसे ऊंची प्रेम सगाई ।



प्रेम के बस पारथ रथ हांक्यो,

भूल गये ठकुराई ।

सबसे ऊंची प्रेम सगाई ।



ऐसी प्रीत बढ़ी वृन्दावन,

गोपियन नाच नचाई ।

सबसे ऊंची प्रेम सगाई ।



प्रेम के बस नृप सेवा कीन्हीं,

आप बने हरि नाई ।

सबसे ऊंची प्रेम सगाई ।



सूर क्रूर एहि लायक नाहीं,

केहि लगो करहुं बड़ाई ।

सबसे ऊंची प्रेम सगाई ।

भागवत कथा प्रसंग: कुंती ने श्रीकृष्ण से दुख क्यों माँगा? (Kunti Ne Shrikrishna Se Upahar Mein Dukh Kyon Manga)

श्री शङ्कराचार्य कृतं - वेदसारशिवस्तोत्रम् (Vedsara Shiv Stotram)

मैं तो बांके की बांकी बन गई (Main Toh Banke Ki Banki Ban Gayi)

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 14 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 14)

श्री शनि देव: आरती कीजै नरसिंह कुंवर की (Shri Shani Dev Aarti Keejai Narasinh Kunwar Ki)

वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे.. भजन (Vaishnav Jan To Tene Kahiye Je)

जो विधि कर्म में लिखे विधाता: भजन (Jo Vidhi Karam Me Likha Vidhata)

क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी: भजन (Kshama Karo Tum Mere Prabhuji)

भजन: बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया (Brij Ke Nandlala Radha Ke Sanwariya)

श्री गौमता जी की आरती (Shri Gaumata Ji Ki Aarti)

भजन: आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा। (Aa Maa Aa Tujhe Dil Ne Pukara)

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे! (Kabhi Fursat Ho To Jagdambe)