प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो (Prabhuji More Avgun Chit Naa Dharo)
प्रभुजी मोरे/मेरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक लोहा पूजा मे राखत,
एक घर बधिक परो ।
सो दुविधा पारस नहीं देखत,
कंचन करत खरो ॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक नदिया एक नाल कहावत,
मैलो नीर भरो ।
जब मिलिके दोऊ एक बरन भये,
सुरसरी नाम परो॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
एक माया एक ब्रह्म कहावत,
सुर श्याम झगरो ।
अब की बेर मुझे पार उतारो,
नही पन जात तरो ॥
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो..
प्रभुजी मोरे अवगुण चित ना धरो,
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो,
चाहो तो पार करो ।
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