ॐ जय जगदीश हरे आरती (Aarti: Om Jai Jagdish Hare)

दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय
आरती ओम जय जगदीश हरे
पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी। यह आरती मूलतः भगवान विष्णु को समर्पित है फिर भी इस आरती को किसी भी पूजा, उत्सव पर गाया / सुनाया जाता हैं। कुछ भक्तों का मानना है कि इस आरती का मनन करने से सभी देवी-देवताओं की आरती का पुण्य मिल जाता है।




ॐ जय जगदीश हरे,


स्वामी जय जगदीश हरे ।


भक्त जनों के संकट,


दास जनों के संकट,


क्षण में दूर करे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥




जो ध्यावे फल पावे,


दुःख बिनसे मन का,


स्वामी दुःख बिनसे मन का ।


सुख सम्पति घर आवे,


सुख सम्पति घर आवे,


कष्ट मिटे तन का ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥




मात पिता तुम मेरे,


शरण गहूं किसकी,


स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।


तुम बिन और न दूजा,


तुम बिन और न दूजा,


आस करूं मैं जिसकी ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥




तुम पूरण परमात्मा,


तुम अन्तर्यामी,


स्वामी तुम अन्तर्यामी ।


पारब्रह्म परमेश्वर,


पारब्रह्म परमेश्वर,


तुम सब के स्वामी ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥




तुम करुणा के सागर,


तुम पालनकर्ता,


स्वामी तुम पालनकर्ता ।


मैं मूरख फलकामी,


मैं सेवक तुम स्वामी,


कृपा करो भर्ता॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥




तुम हो एक अगोचर,


सबके प्राणपति,


स्वामी सबके प्राणपति ।


किस विधि मिलूं दयामय,


किस विधि मिलूं दयामय,


तुमको मैं कुमति ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥




दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,


ठाकुर तुम मेरे,


स्वामी रक्षक तुम मेरे ।


अपने हाथ उठाओ,


अपने शरण लगाओ,


द्वार पड़ा तेरे ॥

॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥




विषय-विकार मिटाओ,


पाप हरो देवा,


स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।


श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,


श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,


सन्तन की सेवा ॥



ॐ जय जगदीश हरे,

स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्त जनों के संकट,

दास जनों के संकट,

क्षण में दूर करे ॥



आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता
पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी
सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। पंडित जी को हिन्दी साहित्य का पहला उपन्यासकार भी माना जाता है।

शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा (Shankar Teri Jata Se Behti Hai Gang Dhara)

आरती: श्री बाल कृष्ण जी (Aarti: Shri Bal Krishna Ki Keejen)

भजन: पूछ रही राधा बताओ गिरधारी (Pooch Rahi Radha Batao Girdhari)

भजन: खाटू का राजा मेहर करो (Khatu Ka Raja Mehar Karo)

हिरण्यगर्भ दूधेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा! (Hiranyagarbh Shri Dudheshwarnath Mahadev Utpatti Pauranik Katha)

शंकर तेरी जटा से बहती है गंग धारा (Shankar Teri Jata Se Behti Hai Gang Dhara)

सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ (Sakhi Ri Bank Bihaari Se Hamari Ladgayi Akhiyan)

श्री गोवर्धन महाराज आरती (Shri Govardhan Maharaj)

हे दयामय आप ही संसार के आधार हो। (Hey Dayamay Aap Hi Sansar Ke Adhar Ho)

ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया, बिना तुम्हारे.. (Ae Murliwale Mere Kanhaiya, Bina Tumhare Tadap Rahe Hain)

भजन: यह तो प्रेम की बात है उधो! (Bhajan: Ye Too Prem Ki Baat Hai Udho)

ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां: भजन (Thumak Chalat Ramchandra)