भजन: मैं नहीं, मेरा नहीं, यह तन.. (Main Nahi Mera Nahi Ye Tan)
मैं नहीं, मेरा नहीं,
यह तन किसी का है दिया ।
जो भी अपने पास है,
वह धन किसी का है दिया ॥
देने वाले ने दिया,
वह भी दिया किस शान से ।
मेरा है यह लेने वाला,
कह उठा अभिमान से
मैं, मेरा यह कहने वाला,
मन किसी का है दिया ।
मैं नहीं, मेरा नहीं,
यह तन किसी का है दिया ।
जो भी अपने पास है,
वह धन किसी का है दिया ॥
जो मिला है वह हमेशा,
पास रह सकता नहीं ।
कब बिछुड़ जाये यह कोई,
राज कह सकता नहीं ।
जिन्दगानी का खिला,
मधुवन किसी का है दिया ।
मैं नहीं, मेरा नहीं,
यह तन किसी का है दिया ।
जो भी अपने पास है,
वह धन किसी का है दिया ॥
जग की सेवा खोज अपनी,
प्रीति उनसे कीजिये ।
जिन्दगी का राज है,
यह जानकर जी लीजिये ।
साधना की राह पर,
यह साधन किसी का है दिया ।
मैं नहीं, मेरा नहीं,
यह तन किसी का है दिया ।
जो भी अपने पास है,
वह धन किसी का है दिया ॥
जो भी अपने पास है,
वह सब किसी का है दिया ।
मैं नहीं, मेरा नहीं,
यह तन किसी का है दिया ।
जो भी अपने पास है,
वह धन किसी का है दिया ।
मैं नहीं, मेरा नहीं,
यह तन किसी का है दिया ।
जो भी अपने पास है,
वह धन किसी का है दिया ॥
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