मंत्र: माँ गायत्री (Maa Gayatri)

गायत्री मंत्र को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है।




ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥



इस मंत्र का हिंदी में मतलब है - हे प्रभु, कृपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये। यह मंत्र सूर्य देवता के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है।



हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं

आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं

आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं

हे संसार के विधाता

हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें

क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें



मंत्र के प्रत्येक शब्द की हिंदी व्याख्या:

गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं

ॐ = प्रणव

भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला

भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला

स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला

तत = वह सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल

वरेण्यं = सबसे उत्तम

भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला

देवस्य = प्रभु

धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)

धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें

मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे: भजन (Meri Jhopdi Ke Bhag Aaj Khul Jayenge)

परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन: भजन (Parishram Kare Koi Kitana Bhi Lekin)

सोमवती अमावस्या व्रत कथा (Somvati Amavasya Vrat Katha)

भजन: अब मैं सरण तिहारी जी (Ab Main Saran Tihari Ji)

इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी: भजन (Ik Din Vo Bhole Bhandari Banke Braj Ki Nari)

नंगे नंगे पाँव चल आ गया री: नवरात्रि भजन (Nange Nange Paon Chal Aagaya Ri)

श्यामा तेरे चरणों की, गर धूल जो मिल जाए: भजन (Shyama Tere Charno Ki, Gar Dhool Jo Mil Jaye)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 3 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 3)

गोविंद चले आओ, गोपाल चले आओ (Govind Chale Aao, Gopal Chale Aao)

तन के तम्बूरे में, दो सांसो की तार बोले! (Tan Ke Tambure Me Do Sanso Ki Tar Bole)

विसर नाही दातार अपना नाम देहो: शब्द कीर्तन (Visar Nahi Datar Apna Naam Deho)

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 13 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 13)