क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी: भजन (Kshama Karo Tum Mere Prabhuji)
क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी,
अब तक के सारे अपराध
धो डालो तन की चादर को,
लगे है उसमे जो भी दाग
॥ क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी...॥
तुम तो प्रभुजी मानसरोवर,
अमृत जल से भरे हुए
पारस तुम हो, इक लोहा मै,
कंचन होवे जो ही छुवे
तज के जग की सारी माया,
तुमसे कर लू मै अनुराग
धो डालो तन की चादर को,
लगे है उसमे जो भी दाग
॥ क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी...॥
काम क्रोध में फंसा रहा मन,
सच्ची डगर नहीं जानी
लोभ मोह मद में रहकर प्रभु,
कर डाली मनमानी
मनमानी में दिशा गलत लें,
पंहुचा वहां जहाँ है आग
धो डालो तन की चादर को,
लगे है उसमे जो भी दाग
॥ क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी...॥
इस सुन्दर तन की रचना कर,
तुमने जो उपकार किया
हमने उस सुन्दर तन पर प्रभु,
अपराधो का भार दिया
नारायण अब शरण तुम्हारे,
तुमसे प्रीत होये निज राग
क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी,
अब तक के सारे अपराध
धो डालो तन की चादर को,
लगे है उसमे जो भी दाग
॥ क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी...॥
माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी। (Maa Murade Puri Karde Main Halwa Batungi)
भजन: चंदन है इस देश की माटी (Chandan Hai Is Desh Ki Mati)
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो (Nagri Ho Ayodhya Si, Raghukul Sa Gharana Ho)
श्री दुर्गा माँ के 108 नाम (Shri Durga Maa)
भोले नाथ का मैं बनजारा: भजन (Bholenath Ka Main Banjara)
भजन: बजरंग के आते आते कही भोर हो न जाये रे... (Bajrang Ke Aate 2 Kahin Bhor Ho Na Jaye Re)
वृंदावनी वेणू: भजन (Vrindavani Venu)
विद्यां ददाति विनयं! (Vidya Dadati Vinayam)
मेरी भावना: जिसने राग-द्वेष कामादिक - जैन पाठ (Meri Bawana - Jisne Raag Dwesh Jain Path)
काक चेष्टा, बको ध्यानं: आदर्श विद्यार्थी के पांच लक्षण (Kaak Cheshta Vidyarthee Ke Panch Gun)
राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊँ गली गली। (Ram Nam Ke Heere Moti Main Bikhraun Gali Gali)
नृसिंह भगवान की आरती (Narasimha Bhagwan Ki Aarti)