जगत के रंग क्या देखूं: भजन (Jagat Ke Rang Kya Dekhun)

जगत के रंग क्या देखूं,

तेरा दीदार काफी है ।

क्यों भटकूँ गैरों के दर पे,

तेरा दरबार काफी है ॥



नहीं चाहिए ये दुनियां के,

निराले रंग ढंग मुझको,

निराले रंग ढंग मुझको ।

चली जाऊँ मैं वृंदावन,

तेरा श्रृंगार काफी है ॥

॥जगत के रंग क्या देखूं...॥



जगत के साज बाजों से,

हुए हैं कान अब बहरे,

हुए हैं कान अब बहरे ।

कहाँ जाके सुनूँ बंशी,

मधुर वो तान काफी है ॥

॥जगत के रंग क्या देखूं...॥



जगत के रिश्तेदारों ने,

बिछाया जाल माया का

बिछाया जाल माया का ।

तेरे भक्तों से हो प्रीति,

श्याम परिवार काफी है ॥

॥जगत के रंग क्या देखूं...॥



जगत की झूटी रौनक से,

हैं आँखें भर गयी मेरी

हैं आँखें भर गयी मेरी ।

चले आओ मेरे मोहन,

दरश की प्यास काफी है ॥

॥जगत के रंग क्या देखूं...॥



जगत के रंग क्या देखूं,

तेरा दीदार काफी है ।

क्यों भटकूँ गैरों के दर पे,

तेरा दरबार काफी है ॥

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 5 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 5)

राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई! (Ram Naam Sukhdai Bhajan Karo Bhai Yeh Jeevan Do Din Ka)

नाकोड़ा के भैरव तुमको आना होगा: भजन (Nakoda Ke Bhairav Tumko Aana Hoga)

मन मेरा मंदिर, शिव मेरी पूजा: भजन (Man Mera Mandir Shiv Meri Pooja)

श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग प्रादुर्भाव पौराणिक कथा! (Shri Somnath Jyotirlinga Utpatti Pauranik Katha)

भजन: मानो तो मैं गंगा माँ हूँ.. (Mano Toh Main Ganga Maa Hun)

आज बिरज में होरी रे रसिया: होली भजन (Aaj Biraj Mein Hori Re Rasiya)

जल जाये जिह्वा पापिनी, राम के बिना: भजन (Jal Jaaye Jihwa Papini, Ram Ke Bina)

दूर नगरी, बड़ी दूर नगरी: भजन (Door Nagari Badi Door Nagri)

दीप प्रज्वलन मंत्र: शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् (Deep Prajwalan Mantra: Shubham Karoti Kalyanam Aarogyam)

भजन: सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया! (Sanwali Surat Pe Mohan Dil Diwana Ho Gaya)

गंगा के खड़े किनारे, भगवान् मांग रहे नैया: भजन (Ganga Ke Khade Kinare Bhagwan Mang Rahe Naiya)