गौरी के नंदा गजानन, गौरी के नन्दा: भजन (Gauri Ke Nanda Gajanand Gauri Ke Nanda)

॥ श्लोक ॥

गजानंद आनंद करो,

दो सुख सम्पति में शीश,

दुश्मन को सज्जन करो,

निवत जिमावा खीर ।



सदा भवानी दाहिनी,

सनमुख रहत गणेश,

पाँच देव रक्षा करे,

ब्रम्हा विष्णु महेश।



विघ्न हरण मंगल करण,

गणनायक गणराज,

रिद्धि सिद्धि सहित पधारजो,

म्हारा पूरण कर जो काज ॥




॥ भजन ॥

गौरी के नंदा गजानन,

गौरी के नन्दा,

म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,

गौरी के नन्दा ॥



पिता तुम्हारे है शिव शंकर,

मस्तक पर चँदा,

माता तुम्हारी पार्वती,

ध्यावे जगत बन्दा,

म्हारा विघ्न हरो गणराज गजानन,

गौरी के नंदा ॥



मूसक वाहन दुंद दुन्दाला,

फरसा हाथ लेनदा,

गल वैजंती माल विराजे,

चढ़े पुष्प गंधा,

म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,

गौरी के नंदा ॥



जो नर तुमको नहीं सुमरता,

उसका भाग्य मंदा,

जो नर थारी करे सेवना,

चले रिजक धंधा,

म्हारा विघ्न हरो गणराज गजानन,

गौरी के नंदा ॥



विघ्न हरण मंगल करण,

विद्या वर देणदा,

कहता कल्लू राम भजन से,

कटे पाप फंदा,

म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,

गौरी के नंदा ॥



गौरी के नंदा गजानन,

गौरी के नन्दा ,

म्हने बुद्धि दीजो गणराज गजानन,

गौरी के नन्दा ॥