ब्रजराज ब्रजबिहारी! इतनी विनय हमारी (Brajaraj Brajbihari Itni Vinay Hamari)
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले
कितने दरों पे भटके, कितने ही दर बनाये
अब तेरे हो रहें हैं, जायें न हम निकाले
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
जोड़ी तेरी हमारी कैसी रची विधाता
जो तुम हो तन के काले, हम भी हैं मन के काले
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
लाखों को अपना समझे, लाखों के हो लिये हम
अब तेरे हो रहे हैं, अपना हमें बना ले
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
राज़ी तेरी रज़ा में, अपनी बनी या बिगड़े
नाचेंगे हम तो नटवर जैसा हमें नचा ले
ब्रजराज ब्रजबिहारी, गोपाल बंसीवारे
इतनी विनय हमारी, वृन्दा-विपिन बसा ले
आरती: ॐ जय महावीर प्रभु (Om Jai Mahavir Prabhu)
॥श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् विष्णुपुराणान्तर्गतम्॥ (Mahalakshmi Stotram From Vishnupuran)
आरती: श्री पार्वती माँ (Shri Parvati Maa)
जिनका मैया जी के चरणों से संबंध हो गया (Jinka Maiya Ji Ke Charno Se Sabandh Hogaya)
तू प्यार का सागर है (Tu Pyar Ka Sagar Hai)
भजन करो मित्र मिला आश्रम नरतन का: भजन (Bhajan Karo Mitra Mila Ashram Nartan Ka)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 2 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 2)
जिनके हृदय श्री राम बसे: भजन (Jinke Hridey Shri Ram Base)
भजन: राम पे जब जब विपदा आई.. (Ram Pe Jab Jab Vipada Aai)
आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..: भजन (Ajaa Nand Ke Dulare)
जम्भेश्वर आरती: ओ३म् शब्द सोऽहं ध्यावे (Jambheshwar Aarti Om Shabd Sohan Dhyave)
श्री सत्यनारायण कथा - तृतीय अध्याय (Shri Satyanarayan Katha Tritiya Adhyay)