आनंद ही आनंद बरस रहा: भजन (Aanand Hi Aanand Baras Raha)
आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
धन भाग्य हमारे आज हुए
शुभ दर्शन ऐसे सद्गुरु के ।
पावन कीनी भारत भूमि
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥
आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
क्या रूप अनुपम पायो है
जैसे तारो बीच है चंदा ।
सुरत मूरत मोहन वारी
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥
आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
क्या ज्ञान छटा है जैसे इंद्र घटा
बरसत वाणी अमृतधारा ।
वो मधुरी मधुरी अजब धुनी
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥
आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
गुरु ज्ञान रूपी जल बरसाकर
गुरु धर्म बगीचा लगा दिया ।
गुरु नाम रूपी जल बरसाकर
गुरु प्रेम बगीचा लगा दिया ।
खिल रही है कैसी फुलवारी
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥
आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।
पाया पाया पाया,
मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।
मेरे रघुवर कीपा किन्हीं
मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।
पाया पाया पाया,
मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।
मेरे रघुवर कीपा किन्हीं
मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।
जन्म बधाई भजन: घर घर बधाई बाजे रे देखो (Ghar Ghar Badhai Baje Re Dekho)
जगन्नाथ मंगल आरती (Jagannath Mangal Aarti)
श्री बृहस्पति देव की आरती (Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti)
मंत्र: श्री गणेश - वक्रतुण्ड महाकाय (Vakratunda Mahakaya Ganesh Shlok)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 10 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 10)
माँ मुरादे पूरी करदे हलवा बाटूंगी। (Maa Murade Puri Karde Main Halwa Batungi)
श्री शनि अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Shani Ashtottara Shatnam Namavali)
भजन: हमने आँगन नहीं बुहारा.. (Hamne Aangan Nahi Buhara, Kaise Ayenge Bhagwan)
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो... (Hamare Sath Shri Raghunath Too Kis Baat Ki Chinta)
हे दयामय आप ही संसार के आधार हो। (Hey Dayamay Aap Hi Sansar Ke Adhar Ho)
मुकुट सिर मोर का, मेरे चित चोर का: भजन (Mukut Sir Mor Ka, Mere Chit Chor Ka)
भजन: जिसने मरना सीखा लिया है (Jisane Marana Seekh Liya Hai)