श्री शनि देव: आरती कीजै नरसिंह कुंवर की (Shri Shani Dev Aarti Keejai Narasinh Kunwar Ki)

आरती कीजै नरसिंह कुंवर की ।

वेद विमल यश गाउँ मेरे प्रभुजी ॥



पहली आरती प्रह्लाद उबारे ।

हिरणाकुश नख उदर विदारे ॥



दुसरी आरती वामन सेवा ।

बल के द्वारे पधारे हरि देवा ॥



तीसरी आरती ब्रह्म पधारे ।

सहसबाहु के भुजा उखारे ॥



चौथी आरती असुर संहारे ।

भक्त विभीषण लंक पधारे ॥



पाँचवीं आरती कंस पछारे ।

गोपी ग्वाल सखा प्रतिपाले ॥



तुलसी को पत्र कंठ मणि हीरा ।

हरषि-निरखि गावे दास कबीरा ॥

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