ऋषि पंचमी व्रत कथा (Rishi Panchami Vrat Katha)

विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सदाचारी ब्राह्मण देव रहते थे। उनकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिसका नाम सुशीला था। उन ब्राह्मण के एक पुत्र तथा एक पुत्री दो संतान थी। विवाह योग्य होने पर उन्होने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया। दैवयोग से कुछ दिनों बाद वह विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।



एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या ने सारी बात मां से कही। मां ने पति से सब कहते हुए पूछा: प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है?



उत्तंक जी ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया: पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही बर्तन छू दिए थे। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी
भाद्रपद शुक्ल पंचमी अर्थात ऋषि पंचमी
का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं।




धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी।



पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।

श्री सिद्धिविनायक आरती: जय देव जय देव (Shri Siddhivinayak Aarti: Jai Dev Jai Dev)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 2 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 2)

माँ सरस्वती अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Sarasvati Ashtottara Shatnam Namavali)

भजन: लेके गौरा जी को साथ भोले-भाले भोले नाथ! (Leke Gaura Ji Ko Sath Bhole Bhale Bhole Nath)

श्री शिवमङ्गलाष्टकम् (Shiv Mangalashtakam)

छठ पूजा: कांच ही बांस के बहंगिया (Chhath: Kanch Hi Bans Ke Bahangiya)

आदियोगी - दूर उस आकाश की गहराइयों में (Adiyogi The Source Of Yoga)

सोमवती अमावस्या व्रत कथा (Somvati Amavasya Vrat Katha)

रोहिणी शकट भेदन, दशरथ रचित शनि स्तोत्र कथा (Rohini Shakat Bhed Dasharath Rachit Shani Stotr Katha)

बारिशों की छम छम में - नवरात्रि भजन (Barisho Ki Cham Cham Mein)

राम के दुलारे, माता जानकी के प्यारे: भजन (Ram Ke Dulare, Mata Janki Ke Pyare)

सावन की बरसे बदरिया: भजन (Sawan Ki Barse Badariya Maa Ki Bhingi Chunariya)