राधाकृष्ण प्राण मोर युगल-किशोर ( RadhaKrishn Prana Mora Yugal Kishor)
राधाकृष्ण प्राण मोर युगल-किशोर ।
जीवने मरणे गति आर नाहि मोर ॥
कालिन्दीर कूले केलि-कदम्बेर वन ।
रतन वेदीर उपर बसाब दुजन ॥
श्याम गौरी अंगे दिब चन्दनेर गन्ध ।
चामर ढुलाब कबे हेरिब मुखचन्द्र ॥
गाँथिया मालतीर माला दिब दोंहार गले ।
अधरे तुलिया दिब कर्पूर ताम्बूले ॥
ललिता विशाखा आदि यत सखीवृन्द ।
आज्ञाय करिब सेवा चरणारविन्द ॥
श्रीकृष्णचैतन्य प्रभुर दासेर अनुदास ।
सेवा अभिलाष करे नरोत्तमदास ॥
युगलकिशोर श्री श्री राधा कृष्ण ही मेरे प्राण हैं। जीवन-मरण में उनके अतिरिक्त मेरी अन्य कोई गति नहीं है ॥
कालिन्दी (यमुना) के तटपर कदम्ब के वृक्षों के वन में, मैं इस युगलजोड़ी को रत्नों के सिंहासन पर विराजमान करूँगा ॥
मैं उनके श्याम तथा गौर अंगों पर चन्दन का लेप करूँगा, और कब उनका मुखचंद्र निहारते हुए चामर ढुलाऊँगा ॥
मालती पुष्पों की माला गूँथकर दोनों के गलों में पहनाऊँगा और कर्पूर से सुगंधित ताम्बुल उनके मुखकमल में अर्पण करूँगा ॥
ललिता और विशाखा के नेतृत्वगत सभी सखियों की आज्ञा से मैं श्री श्रीराधा-कृष्ण के श्री चरणों की सेवा करूँगा ॥
श्रीकृष्ण चैतन्य महाप्रभु के दासों के अनुदास श्रील नरोत्तमदास ठाकुर दिवय युगलकिशोर की सेवा-अभिलाषा करते हैं ॥
देवोत्थान / प्रबोधिनी एकादशी व्रत कथा 2 (Devutthana Ekadashi Vrat Katha 2)
मेरे भोले बाबा को अनाड़ी मत समझो: शिव भजन (Mere Bhole Baba Ko Anadi Mat Samjho)
श्याम के बिना तुम आधी: भजन (Shyam Ke Bina Tum Aadhi)
तुलसी विवाह पौराणिक कथा (Tulsi Vivah Pauranik Katha)
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां: भजन (Thumak Chalat Ramchandra)
श्री हनुमान अष्टोत्तर-शतनाम-नामावली (Shri Hanuman Ashtottara-Shatnam Namavali)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 8 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 8)
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की (Kunj Bihari Shri Girdhar Krishna Murari)
मंत्र: शिव तांडव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram)
श्री गोवर्धन वासी सांवरे लाल: भजन (Shri Govardhan Wasi Sanwarey Lal)
दर्शन दो घनश्याम नाथ मोरी: भजन (Darshan Do Ghansyam Nath Mori Akhiyan Pyasi Re)
ले चल अपनी नागरिया, अवध बिहारी साँवरियाँ: भजन (Le Chal Apni Nagariya, Avadh Bihari Sanvariya)