जिसको नही है बोध, तो गुरु ज्ञान क्या करे (Jisko Nahi Hai Bodh Guru Gyan Kya Kare)

॥ दोहा ॥

अर्घ कपाले झूलता,

सो दिन करले याद ।

जठरा सेती राखिया,

नाहि पुरुष कर बाद ॥



॥ तो गुरु ज्ञान क्या करे ॥

जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।



घट घट में ब्रह्मज्योत का,

प्रकाश हो रहा ।

मिटा न द्वैतभाव तो,

फिर ध्यान क्या करे ।



जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।



रचना प्रभू की देख के,

ज्ञानी बड़े बड़े ।

पावे ना कोई पार तो,

नादान क्या करे ।



जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।



करके दया दयाल ने,

मानुष जन्म दिया ।

बंदा न करे भजन तो,

भगवान क्या करे ।



जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।



सब जीव जंतुओं में ,

जिसे है नहीं दया ।

‘ब्रह्मानंद’ व्रत नेम,

पुण्य दान क्या करे ।



जिसको नही है बोध,

तो गुरु ज्ञान क्या करे ।

निज रूप को जाना नहीं,

तो पुराण क्या करे ।

श्री सत्यनारायण जी आरती (Shri Satyanarayan Ji Ki Aarti)

भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण से छूटे भगवान चित्रगुप्त (Ram Ke Rajtilak Me Nimantran Se Chhute Bhagwan Chitragupt)

माँ अन्नपूर्णा की आरती (Maa Annapurna Ji Ki Aarti)

कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 1 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 1)

आरती: श्री राणी सती दादी जी (Shri Rani Sati Dadi Ji)

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् - नित्यानन्दकरी वराभयकरी (Annapoorna Stotram - Nitya-nanda Karee Vara Abhaya Karee)

भजन: सत्संगति से प्यार करना सीखोजी! (Bhajan: Sat Sangati Se Pyar Karana Sikho Ji)

शंकर शिव शम्भु साधु सन्तन सुखकारी: भजन (Shankar Shiv Shambhu Sadhu Santan Sukhkari)

कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती (Kanakadhara Stotram: Angam Hareh Pulaka Bhusanam Aashrayanti)

सज रही मेरी अम्बे मैया - माता भजन (Saj Rahi Meri Ambe Maiya Sunahare Gote Mein)

मत घबरा मन बावरे... (Mat Ghabra Mann Baware)

भजन: दिया थाली बिच जलता है.. (Diya Thali Vich Jalta Hai)