गुरु स्तुति (Guru Stuti)
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुर्साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
ध्यानमूलं गुरोर्मूतिः पूजामूलम गुरो पदम् ।
मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ॥
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥
ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं,
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम् ।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं,
भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि ॥
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई: भजन (Sukh Ke Sab Saathi, Duhkh Mein Na Koi)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 10 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 10)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा (Purushottam Mas Mahatmya Katha)
मन की तरंग मार लो... (Man Ki Tarang Mar Lo Bas Ho Gaya Bhajan)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 17 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 17)
श्री शाकुम्भरी देवी जी की आरती (Shakumbhari Devi Ki Aarti)
तुम बिन मोरी कौन खबर ले गोवर्धन गिरधारी: श्री कृष्ण भजन (Tum Bin Mori Kaun Khabar Le Govardhan Girdhari)
मोहिनी एकादशी व्रत कथा (Mohini Ekadashi Vrat Katha)
वरुथिनी एकादशी व्रत कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha)
आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..: भजन (Ajaa Nand Ke Dulare)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 2 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 2)
जगत के रंग क्या देखूं: भजन (Jagat Ke Rang Kya Dekhun)