परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन: भजन (Parishram Kare Koi Kitana Bhi Lekin)
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
निराशा निशा नष्ट होती ना तब तक,
दया भानु जब तक निकलता नहीं है ।
दमित वासनाये, अमित रूप ले जब,
अंतः-करण में, उपद्रव मचाती ।
तब फिर कृपासिंधु, श्री राम जी के,
अनुग्रह बिना, काम चलता नहीं है ।
(अनुग्रह बिना, मन सम्हलता नहीं है)
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
म्रगवारी जैसे, असत इस जगत से,
पुरुषार्थ के बल पे, बचना है मुश्किल ।
श्री हरि के सेवक, जो छल छोड़ बनते,
उन्हें फिर ये, संसार छलता नहीं है ।
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
सद्गुरू शुभाशीष, पाने से पहले,
जलता नहीं ग्यान, दीपक भी घट में ।
बहती न तब तक, समर्पण की सरिता,
अहंकार जब तक, कि गलता नहीं ।
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
राजेश्वरानन्द, आनंद अपना,
पाकर ही लगता है, जग जाल सपना ।
तन बदले कितने भी, पर प्रभु भजन बिन,
कभी जन का, जीवन बदलता नहीं ।
परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है ।
निराशा निशा नष्ट होती ना तब तक,
दया भानु जब तक निकलता नहीं है ।
राम सीता और लखन वन जा रहे! (Ram Sita Aur Lakhan Van Ja Rahe)
होली भजन: फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद किशोर (Holi Bhajan: Faag Khelan Barasane Aaye Hain Natwar Nand Kishore)
अरे द्वारपालों कहना से कह दो: भजन (Are Dwarpalo Kanhaiya Se Keh Do)
सफला एकादशी व्रत कथा (Saphala Ekadashi Vrat Katha)
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया: भजन (Data Ek Ram Bhikhari Sari Duniya)
राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊँ गली गली। (Ram Nam Ke Heere Moti Main Bikhraun Gali Gali)
भजन: यह तो प्रेम की बात है उधो! (Bhajan: Ye Too Prem Ki Baat Hai Udho)
पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा: अध्याय 11 (Purushottam Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 11)
अगर श्याम सुन्दर का सहारा ना होता (Agar Shyam Sundar Ka Sahara Na Hota)
श्री नर्मदा अष्टकम (Narmada Ashtakam)
प्रभु! स्वीकारो मेरे परनाम (Prabhu Sweekaro Mere Paranam)
कार्तिक मास माहात्म्य कथा: अध्याय 8 (Kartik Mas Mahatmya Katha: Adhyaya 8)