हमारे साथ श्री रघुनाथ तो... (Hamare Sath Shri Raghunath Too Kis Baat Ki Chinta)
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता।
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता।
किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता
किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता।
तेरे स्वामी, तेरे स्वामी, तेरे स्वामी,
तेरे स्वामी को रहती है, तेरे हर बात की चिंता।
॥ हमारे साथ श्री रघुनाथ तो...॥
न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की।
न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की।
न खाने की, न पीने की, न मरने की, न जीने की।
रहे हर स्वास, रहे हर स्वास, रहे हर स्वास
रहे हर स्वास में भगवान के प्रिय नाम की चिंता।
॥ हमारे साथ श्री रघुनाथ तो...॥
विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में।
विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में।
विभीषण को अभय वर दे किया लंकेश पल भर में।
उन्ही का हाँ, उन्ही का हाँ, उन्ही का हाँ
उन्ही का हाँ कर रहे गुण गान तो किस बात की चिंता।
उन्ही का हाँ कर रहे गुण गान तो किस बात की चिंता।
॥ हमारे साथ श्री रघुनाथ तो...॥
हुई भक्त पर किरपा, बनाया दास प्रभु अपना।
हुई भक्त पर किरपा, बनाया दास प्रभु अपना।
हुई भक्त पर किरपा, बनाया दास प्रभु अपना।
उन्ही के हाथ, उन्ही के हाथ, उन्ही के हाथ,
उन्ही के हाथ में अब हाथ तो किस बात की चिंता।
उन्ही के हाथ में अब हाथ तो किस बात की चिंता।
॥ हमारे साथ श्री रघुनाथ तो...॥
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता।
शरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंता।
किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता
किया करते हो तुम दिन रात क्यों बिन बात की चिंता।
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