इसलिए मनाया जाता है करवाचौथ


महिला को शक्ति का रूप माना जाता है और उन्हें वरदान भी है कि महिला अगर किसी भी चीज के लिए तप करती है तो उस तप का फल उसे जरूर मिलता है. पौराणिक कथा के मुताबिक, सावित्री अपने पति के प्राण यमराज से छीन लाई थी. अपने पति को वापस लाने के लिए सावित्री ने बहुत सारे तप किए और कई महीनों तक भूखी-प्यासी रही फिर अंत में वो सफल भी हुई. उसके बाद से हर महिला इसे करवाचौथ के रूप में मनाने लगी. अपने पति की लंबी आयु के लिए सभी महिलाएं व्रत रहने लगी और आज भी ये परम्परा कायम है. महिलाएं इस दिन निर्जाल रहती हैं और दिन भर सजना संवरना शुरु कर देती हैं. चौथ का चांद हमेशा ही देर में निकलता है और ये महिलाओं के लिए परिक्षा का दिन होता है.