ज्वालामुखी के प्रकार (Types of Volcano)
ज्वालामुखी मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं. इन तीनों प्रकार के ज्वालामुखी का वर्णन विस्तार में नीचे दिया है
ज्वालामुखी को पांच भागों में बांटा गया है:
- मृत ज्वालामुखी
- काल्डेरा ज्वालामुखी
- शील्ड ज्वालामुखी
- प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी
- सम्मिश्रित (कम्पोजिट) ज्वालामुखी
1. शील्ड ज्वालामुखी या जाग्रत ज्वालामुखी :
भू-वैज्ञानिकों में सक्रियता को लेकर मतैक्य नहीं है लेकिन अगर कोई ज्वालामुखी वर्तमान में फट रहा हो, या उसके जल्द ही फटने की आशंका हो, या फिर उसमें गैस रिसने, धुआँ या लावा उगलने, या भूकम्प आने जैसे सक्रियता के चिह्न हों तो उसे सक्रिय माना जाता है।
और यदि मेगा बहुत गर्म हो और बहुत तेज़ गति में भूमि से बाहर आ रहा हो तो विस्फोटन सामान्य होता है. इससे निकलने वाला मैग्मा बहुत अधिक मात्रा में होता है. लावा बहुत आराम से बहने की वजह से ये ज्वालामुखी के मुख पर एक निश्चित तरह से जमता जाता है, आप ऊपर दिए गए चित्र में देख सकते है। और ज्वालामुखी के उद्गम द्वार से दूर जाने पर इसका स्लोप कम होता जाता है. इस तरह के ज्वालामुखी के मैग्मा का तामपान लगभग 800 से 1200 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य होता है.
2. मृत ज्वालामुखी ( Extint Volcano )
यह वे ज्वालामुखी होते हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिकों की अपेक्षा है कि वे फटती नहीं। इनके बारे में यह अनुमान लगाया जाता है कि इनके अन्दर लावा व मैग्मा ख़त्म हो चुका है और अब इनमें उगलने की गर्मी व सामग्री बची ही नहीं है। अगर किसी ज्वालामुखी के कभी भी विस्फोटक प्रकार की सक्रियता की कोई भी घटना होने की स्मृति नहीं हो तो अक्सर उसे मृत समझा जाता है। और इसका एक उदाहरण है -माउंट पोपा बर्मा
3. काल्डेरा ज्वालामुखी
इस तरह के ज्वालामुखी में ऐसा विस्फोट होता है कि लावा का अधिकांश हिस्सा ज्वालामुखी के मुख पर जम जाता है, और ज्वालामुखी का आकार एक बेसिन की तरह हो जाता है. इस ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा बहुत ही चिपचिपा होता है. इसका लावा बाक़ी ज्वालामुखी के लावा से अपेक्षाकृत अधिक ठंडा होता है. इसके का तापमान लगभग 650 से 800 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य होता है.
4. सम्मिश्रित (कम्पोजिट) ज्वालामुखी
इसे ‘स्त्रातो ज्वालामुखी’ के नाम से भी जाना जाता है. इस तरह के ज्वालामुखी में एक विशेष तरह का विस्फोट होता है. जब मैग्मा का तामपान थोडा कम हो जाता है तो ये जमने लगता है और गैस को फ़ैल कर बाहर निकलने में दिक्क़त पेश आती है. फलस्वरूप भूमि के नीचे से आने वाला मैगमा बहुत अधिक बल के साथ बहार निकलता है और विस्फोट होता है. इस तरह के ज्वालामुखी में एक निश्चित तरह से लावा बहता है जिसे लहर कहा जाता है. इस ज्वालामुखी के लावा का तामपान लगभग 800 से 1000 डिग्री सेंटीग्रेड के मध्य होता है.
5. प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी
वैज्ञानिकों का माना है की मृत और सुप्त (dormant) ज्वालामुखियों में अंतर बता पाना कठिन है, लेकिन अगर मानवीय स्मृति में कोई ज्वालामुखी कभी भी इतिहास में बहुत पहले फटा हो तो उसे सुप्त ही माना जाता है लेकिन मृत नहीं। बहुत से ऐसे ज्वालामुखी हैं जिन्हें फटने के बाद एक और विस्फोट के लिये दबाव बनाने में लाखों साल गुज़र जाते हैं और इन्हें उस दौरान सुप्त माना जाता है। इसका एक उदाहरण है- मसलन तोबा ज्वालामुखी, जिसके विस्फोट में आज से लगभग ७०,००० वर्ष पूर्व भारतीय उपमहाद्वीप के सभी मानव मारे गये थे और पूरी मनुष्यजाति ही विलुप्ति की कगार पर आ पहुँची थी, हर ३,८०,००० वर्षों में पुनर्विस्फोट के लिये तैयार होता है।
विश्व के कुछ प्रमुख ज्वालामुखी
1. टकाना 21. ओजोसडेल सेलेडो
2.कोटोपैक्सी 22. लैसर
3. टुपुंगटीटो 23. पोपोकैटेपिटल
4. सैंगे 24. क्ल्यूचेव्सकाया
5. प्यूरेस 25. टाजुमुल्को
6. मौनालोआ 26. माउण्टकैमरून
7. माउण्ट इरेबस 27. रिन्दजानी
8. पिको देल तेइदे 28. सेमेरू
9. नीरागोंगा 29. कोरयाक्सकाया
10. इराजू 30. स्लामाट
11. माउण्टस्पर 31. माउण्ट एटना
12. लैसेन पीक 32. माउण्ट सेण्ट हेलेन्स
13. टैम्बोरा 33. द पीक
14. माउण्ट लेमिंटन 34. माउण्ट पीली
15. हेक्सा 35. लासाओफैरी
16. विसूवियस 36. किलाउस
17. स्ट्राम्बोली 37. सैण्टोरिनी
18. बलकैनो 38. पैरीक्यूटिन
19. सरट्से 39. एनैक क्राकाटाओ
20. तोबा