ज्वालामुखी क्या है

ज्वालामुखी क्या है? ज्वालामुखी किसे कहते हैं?

ज्वालामुखी क्या है


अपने ज्वालामुखी के बारे में सुना ही होगा चलिए जानते है इस लेख में  कैसे ज्वालामुखी होती है और उसके कितने प्रकार है और क्यों होती है।   ज्वालामुखी का जमींन  में वह स्थान होता है, जहाँ से पृथ्वी के बहुत नीचे स्थित पिघली चट्टान, जिसे मैग्मा कहा जाता है, को पृथ्वी की सतह  पर ले आता है. मैग्मा ज़मीन पर आने के बाद लावा कहलाता है. लावा ज्वालामुखी में मुख पर और उसके आस पास बिखर कर एक कोन का निर्माण करती है. 

 

ज्वालामुखी ही एक ऐसी दरार या मुख होता है जो की पृथ्वी की सतह पर उपस्थित होती है और जिससे पृथ्वी के भीतर का गर्म लावा, गैस, राख आदि बाहर आते हैं. वस्तुतः यह पृथ्वी की ऊपरी परत में एक विभंग होता है जिसके द्वारा अन्दर के पदार्थ बाहर निकलते हैं. ज्वालामुखी द्वारा निःसृत इन पदार्थों के जमा हो जाने से निर्मित शंक्वाकार स्थलरूप को ज्वालामुखी पर्वत कहा जाता है. ज्वालामुखी नाम की उत्पत्ति रोमन आग के देवता वालकैन के नाम पर हुआ है. ज्वालामुखी की उत्पत्ति इसलिए होती हैं की चूँकि पूरी पृथ्वी 17 ठोस टेक्टोनिक प्लेटों में विभाजित है,  इसी कारण से ज्वालामुखी का उद्भव होता है. वस्तुतः में ज्वालामुखी की उदभव वहीं होता है जहाँ पर दो प्लेटें या तो एक दुसरे के विपरीत या एक दुसरे की तरफ सरकती रहती हैं.

 

आपको बता दे हवाई द्वीप पर मौजूद मोना लोआ इस ग्रह पर सबसे बड़ा ज्वालामुखी है. संयुक्त राज्य अमेरिका में सेंट हेलेंस सबसे सक्रिय ज्वालामुखी है. मंगल ग्रह पर ओलंपस मॉन्स सौर मंडल में सबसे बड़ा ज्वालामुखी है.  ज्वालामुखी के बारे में हम विस्तार में जानेंगे।