बिजली बनाने के तरीके
विद्युत का उत्पादन प्रमुख रूप से ए. सी. जनरेटर और अल्टेरनेटो का अपयोग किया जाता ह। जेनरेटर को चलाने के लिए प्राइम मूवर की आवश्यकता होती है, प्राइम मूवर के अनेक प्रकर के साधना से ऊर्जा दी जा सकती है।
हमे मिलने वाली विद्युत् दो प्रकार की होती है।
1. प्राथमिक स्रोत (primary source)
2. दुतिय स्रोत (secondary source)
प्राथमिक स्रोत (primary source)
प्राथमिक साधना प्राथमिक स्रोत है, एसे साधना जिन्के जिन प्रकृति द्वारा प्रप्त किया जाता है उन्हें प्राथमिक साधना कहते हैं जैसे सूर्य की गरमी, हवा और ज्वार भाटा ऊर्जा की प्राथमिक साधन है। परांतु इन साधनओं से निरंतर ऊर्जा प्रप्त करना कठिन है, इसलिए इन साधनो इस्तमाल समित रूप से किया जाता है।
दुतिय स्रोत (secondary source)
दुतिय माध्यमिक स्रोत जल, कोयला, तेल, और गैस ऊर्जा के दुतिय स्त्रोत होते हैं, माध्यमिक साधनओं में इस्तमाल करने के लिए लगभाग सारी विद्युत का उत्पादन किया जाता ह। भारत में इन साधनओं का व्यापार स्तर पर इस्तमाल किया जाता है, इन साधनओं द्वारा विद्युत उत्पादन को विभीन प्रकर की श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
1. हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट (Hydro electric power plant)
2. थर्मल इलेक्ट्रिक पावर प्लांट (Thermal electric power plant)
3. डीजल पावर प्लांट (Diesel power plant)
4. परमाणु ऊर्जा संयंत्र पावर प्लांट (Nuclear power plant )
1. हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट
हाइड्रो पावर प्लांट में हम पानी की स्थिति ऊर्जा का उपयोग बिजली पैदा करने में करते हैं।
इस विधि में बरसात या बर्फ के पानी को किसी ऊँचे स्थान पर बांध बनाकर इकट्ठा किया जाता है, जैसे की नदी का सारा पानी एक जगह एक
बांद पर अला जाता है और फिर पानी को ऊँचाई से नीचे गिराया जाता है और turbine को घुमाया जाता है. Turbine के घूमने पर generator चलता है और बिजली बनना शुरू हो जाती है.
Hydro Electric Power Plant को बनाना काफी मेहगा होता है क्यों की हमेशा पानी की जरूरत पड़ती है । लेकिन कार्यकारी कीमत काफी कम होती है. इस तकनीक में पानी की मात्रा कम होने पर भी यह काफी प्रभावी है. Turbine के लिए इस्तेमाल होने के बाद नीचे गिरने वाले पानी का उपयोग खेतों में सिंचाई के लिए किया जाता है. ये plant बहुत ही साधारण संरचना में होते हैं, इसलिए देखभाल की आवश्यकता काफी कम होती है. इस विधि से मिलने वाली बिजली काफी सस्ती होती है. हाइड्रो पावर प्लांट को सबसे पुराना पावर प्लांट माना जाता है। साथ ही यह प्रदूषण रहित भी होता है। अगर भारत में देखा जाए तो सबसे पहला हाइड्रो प्लांट दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में बना था। तथा उसी पावर प्लांट के समकालीन कर्नाटक के सरावती जिले में भी बनाया गया था।
2. थर्मल इलेक्ट्रिक पावर प्लांट
ताप विद्युत केन्द्र (thermal power station) वह विद्युत उत्पादन संयंत्र है जिसमें प्रमुख घूर्णी (प्राइम मूवर) भाप से चलाया जाता है। यह भाप कोयला, गैस आदि को जलाकर एवं पानी को गर्म करके प्राप्त की जाती है। इस संयंत्र में शक्ति का परिवर्तन (कन्वर्शन) रैंकाइन चक्र (Rankine cycle) के आधार पर काम करता है।
स्रोत भिन्न-भिन्न होता है। यह मुख्यतया आसानी से उपलब्ध होने वाले ईंधन तथा प्रयुक्त प्रौद्योगिकी के प्रकार पर निर्भर करता है।
न्यूक्लियर पावर संयंत्रों में भाप टरबाइन जेनेरेटर को चलाने के लिए न्यूक्लियर रिएक्टर की ऊष्मा का प्रयोग होता है।
फॉसिल ईंधन पावर संयंत्रों में भाप टरबाइन जेनेरेटर का भी प्रयोग किया जाता है या प्राकृतिक गैस संयंत्रों में दहन टरबाइन का प्रयोग किया जा सकता है।
जिओथर्मल पावर संयंत्रों में भूमिगत तप्त चट्टानों से निकली भाप का प्रयोग किया जाता है.
नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों में गन्ने, नगर ठोस अपशिष्ट, लैंडफिल मीथेन या अन्य प्रकार के बायोमास से उत्पन्न कचड़े से ईंधन तैयार किया जा सकता है।
एकीकृत इस्पात मिलों में धमन भट्टी निकास गैस कम लागत की होती है हालांकि यह कम ऊर्जा- घनत्व ईंधन वाली होती हैं।
औद्योगिक प्रक्रियाओं से निकली अपशिष्ट ऊष्मा कभी-कभी इतनी संकेंद्रित हो जाती है कि उसका प्रयोग विद्युत ऊपादन के लिए और प्रायः भाप बॉयलर और टरबाइन के लिए किया जाता है।
थर्मल पावर के जरिए (electricity generate) बिजली हायर करने के तीन तरीके हैं:
1. Pulverized Coal-Fired Power Generation
2. Combined Cycle Power Generation
3. Integrated Coal Gasification Combined Cycle (IGCC)
3. डीजल पावर प्लांट
यह ऐसा पॉवर प्लांट है, जिसमे बिजली के लिए डीजल का उपयोग किया जाता है। इसमें डीजल इंजन का उपयोग जनरेटर को घुमाने के लिए किया जाता है। जब डीजल इंजन से जुडा हुआ जनरेटर घुमाता है तब उससे विधुत उर्जा का उत्पादन होता है। डीजल का मुख्य रूप से उपयोग होने के कारण इसे डीजल पॉवर प्लांट कहा जाता है।
डीजल इंजन का उपयोग छोटे स्तर पर विधुत उर्जा के उत्पादन के लिए किया जाता है। तहतकाल (emergency) में जब बिजली नहीं रहती तब डीजल इंजन के मदद से विधुत उर्जा का उत्पादन किया जाता है। छोटे स्तर पर डीजल इंजन के मदद से बिजली उत्पादन के लिए विशेष प्रकार के मशीन बनाया गयी है, जिसे DG अर्थात डीजल जनरेटर सेट कहा जाता है।
इसकी की क्षमता 2 से 50 मेगावाट होती है। इसका उपयोग हाइड्रो पॉवर प्लांट या स्टीम पॉवर प्लांट पर अचानक बढे हुए उर्जा डिमांड को पूरा करने के लिए किया जाता है। लेकिन आज के वर्तमान परिवेश में डीजल के दाम में बढ़ोतरी के कारण इसका उपयोग लगभग न के बराबर किया जा रहा है।
4. परमाणु ऊर्जा संयंत्र पावर प्लांट
परमाणु ऊर्जा संयंत्र (nuclear power plant (NPP)) वे ताप ऊर्जा संयंत्र (thermal power station) होते हैं जिनमें ऊष्मा एक या कई नाभिकीय भट्ठियों से प्राप्त होती है।
परमाणु ऊर्जा संयंत्र आधार लोड संयंत्र (base load stations) के रूप में काम करते हैं क्योंकि ये नियत शक्ति देने के लिये सबसे अधिक उपयुक्त हैं।
अगर हम बात करें भारत में बिजली के उत्पादन की तो भारत में पांचवें नंबर पर न्यूक्लियर पावर प्लांट आते हैं बिजली उत्पादन में, हमारे देश में ना केवल नुक्लेअर पावर प्लांट बल्कि हाइड्रोजन इलेक्ट्रिसिटी, विंड पावर, गैस और कुल से भी बिजली बनाई जाती है।
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