पेट्रोल क्या है और कैसे बनता है
पेट्रोल कैसे बनता है इसके बारे में जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि पेट्रोल होता क्या है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पेट्रोल एक पेट्रोलियम (कच्चे तेल) से प्राप्त किया गया तरल मिश्रण है, जिसका इस्तेमाल अन्तर्दहन इंजन में ईंधन के तौर पर किया जाता है।
ऑयल रिफाइनिंग से बनाने का काम (processing) के बाद औसतन 160 लीटर ( एक बैरल) कच्चे तेल से लगभग 72 लीटर पेट्रोल प्राप्त किया जा सकता है, यह मात्रा कच्चे तेल के प्रकार और इसमें मौजूद दूसरे उत्पाद को अलग किए जाने पर निर्भर करती है. पेट्रोल की रासायनिक (chemical) स्थिरता और निष्पादन (performance) बढ़ाने, क्षयकारिता (corrosiveness) को नियंत्रित करने और ईंधन प्रणाली की सफाई रखने के लिए कुछ दूसरे रासायनिक को भी इसमें डाला जाता है.
पेट्रोल में ऑक्सीजन बढ़ाने वाले (oxygenating chemicals) रासायनिक भी डाले जा सकते हैं जिससे ज्वलनशीलता बढती है, जैसे कि ethanol, MTBE या ETBE.
जैसे हम पेटोल देखते है पेट्रोल वैसे नहीं रहता है पहले उसमे रासायनिक प्रक्रिया की जाती है। पेट्रोल हमें एक काले और गाढ़े तरल पदार्थ से मिलता है, जिसे पेट्रोलियम कहते हैं l पेट्रोलियम लेटिन भाषा का शव्द हैं, जिसका अर्थ है चट्टानों से निकलने वाला तेल l पेट्रोल ज़मीन के अन्दर से निकाला जाता है l क्या आप जानते है कि यह ईंधन जमीन के अन्दर कैसे बनता है ?
यह एक बड़ा दिलचस्प और जांनने वाला विषय है l हजारों लाखों साल पहले पौधे और जानवर जमीन के अन्दर पृथ्वी की उथल-पुथल के कारण दाव गए होंगे l अत्यंत दबाव और गर्मी के कारण यही मृत पौधे और जानवर पेट्रोलियम में बदल गए l मनुष्य ने समुन्द्र के अन्दर पेट्रोलियम के ऐसे भंडार का पता लगाया (मनुष्य कुछ भी कर सकता है ) और समुन्द्र की चट्टानों से मनुष्य ने इस काले तरल पदार्थ को बाहर निकालना शुरू कर दिया l
पेट्रोलियम के कुएं होते हैं, जैसा तो हमने कही बार सुना है, जिनमें से कच्चा तेल (crude oil) निकाला जाता है l इस तेल में पेट्रोल, नैपथ, कैरोसिन, डीज़ल, मोम, पिच आदि चीजें होती हैं l कच्चे तेल को साफ (refine) करने के लिए कारखानों में लाया जाता है l इन कारखानों को पेट्रोल रिफ़ाइनरीज़ (Petrol Refineries) कहते हैं कच्चे तेल को बड़े-बड़े बेलनाकार बर्तनों में डालकर गर्म किया जाता है l अलग-अलग तापमान पर कच्चे तेल में उपस्थित चीजें अलग-अलग पाइपों द्धारा निकाल ली जाती हैं l और जो घातक काम नहीं है उसमे वो बाहर निकला जाता है, इस प्रकार पेट्रोलियम का एक हिस्सा पेट्रोल के रूप में प्राप्त हो जाता है।
पेट्रोल को पेट्रोलियम से निकाला जाता है जिसे हमने उपर बताया है. पर कच्चे तेल को अच्छा ईंधन नहीं माना जाता है, क्योंकि यह तरल नहीं है और इसे जलाने के लिए बहुत उच्च तापमान की आवश्यकता होती है.
कच्चे तेल के लंबे अणुओं (molecules) की श्रृंखला को पेट्रोलियम रिफाइनिंग के जरिए पेट्रोल जैसे refined ईंधन की छोटी श्रृंखला से अलग किया जाता है. इसी प्रक्रिया को आंशिक आसवन (Fractional Distillation) कहा जाता है. एक बड़ी यूनिट आंशिक आसवन टावर होती है, जिसमें 2 लाख बैरल कच्चे तेल को होल्ड किया जा सकता है. सबसे पहले कच्चे तेल को एक भट्टी में डाला जाता है और इसे 400 डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म किया जाता है. जिसके बाद सभीअणुओं वाष्प के रूप में बदल जाते हैं.
वाष्प, भिन्नात्मक स्तंभ (fractionating column) में ऊपर की तरफ उठते जिसकी लम्बाई लगभग 150 फीट (46 मीटर) होती है. जैसे-जैसे वाष्प स्तंभ में ऊपर की ओर उठती जाती है ये ठंडी होती जाती हैं. क्यों की यौगिकों का boiling point अलग-अलग होता है, बड़े और भारी अणुओं से सबसे पहले टावर के निचले भाग में संघनित (वाष्प से द्रव में बदलना) होते हैं. जबकि हल्के molecules टावर के ऊपर वाले भाग पर संघनित हो।
प्राकृतिक गैसें, पेट्रोल या गैसोलीन और केरोसिन (मिट्टी तेल) ये ऊपरी भाग में निकलते हैं, डीजल मध्य भाग में और भारी यौगिक जिनका इस्तेमाल प्लास्टिक और lubricants बनाने में किया जाता है को टावर के निचले भाग से प्राप्त किया जाता है. टावर के अलग-अलग लेवल पर आसवन प्लेटें (distillation plates) लगी होती हैं जहाँ तरल संघनित होकर इकट्ठा होता है.
जब पेट्रोल वाष्प 40 डिग्री सेल्सियस से 205 डिग्री सेल्सियस के बीच condense होते हैं तब पेट्रोल या Gasoline निकलता है.
खाली आंशिक आसवन के जरिए पेट्रोल को कच्चे तेल से तैयार नहीं किया जा सकता, इसके जरिए इन्हें केवल कच्चे तेल में मौजूद दूसरे compounds से अलग किया जाता है. आगे की refining process के जरिए ईंधन की गुणवता को और बढ़ाया जाता है.
शोधन प्रक्रिया / Refining Process
catalytic cracking आयल रिफाइनिंग के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक catalyst, उच्च तापमान और पेट्रोलियम के केमिकल बदलावों को प्रभावित करने के लिए बढ़ाए गए दबाव का इस्तेमाल किया जाता है.
Catalyst जैसे कि aluminum, platinum, processed clay और acid को पेट्रोलियम में डाला जाता है, जो कि बड़े अणुओं को तोड़कर केवल इच्छित compounds को रखते हैं. दूसरी रिफाइनिंग प्रक्रिया है Polymerization. यह cracking प्रक्रिया का उल्टा है, जिसमें हल्की गैसों के छोटे अणुओंको जोड़कर बड़े में तब्दील कर दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल तरल ईंधन के रूप में किया जा सकता है.
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