भगवद् गीता में भी है इस बात का ज़िक्र


भगवद् गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है - "यं यं वाप‌ि स्मरण भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम। तं तमेवैत‌ि सदा तद्भावभाव‌ितः"।। अर्थात हमारे जीवनकाल में जो भावना हमारे दिल और दिमाग में प्रबल होती है, वही मृत्युकाल में भी बनी रहती है और उसी के अनुसार हमारा अगला जीवन निर्धारित होता है।