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सन 2016 की शुरुआत में यहां का पुरातत्व विभाग मरम्मत का कार्य करवा रहा था। तभी इसी दीवार की नींव से एक्सपर्ट्स की टीम को जो मिला उसे इस मंदिर के बारे में उनकी राय हमेशा के लिए बदल गई। वहां की टीम को एक तांबे का कलश मिला, जिसमें एक पारदर्शी शिवलिंग जुड़ा हुआ था। इसके भीतर एक खास लिक्विड भरा हुआ है। रिसर्च में पाया गया कि तांबे के बर्तन से इसकी बड़ी बारीक़ जुड़ाई की गई है, ताकि इसे किसी भी तरह खोला न जा सके।
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