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बस आज तो जी भर के रुला दे कोई...
आगोश-ए-सितम में छिपा ले कोई, तन्हा हूँ तड़पने से बचा ले कोई, सूखी है बड़ी देर से पलकों की ज़ुबां, बस आज तो जी भर के रुला दे कोई।
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