2. Betshwajohn Lyngdoh Peinlang


सिर्फ 12 वर्ष की उम्र में अपनी जान पर खेलकर मासूम भाई को बचाने वाले मेघालय के बेट्श्वाजॉन पेनलांग को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया. बेट्श्वाजॉन ने जिस कठिन स्थिति में जान जोखिम में डालकर अदम्य साहस का परिचय दिया वह प्रेरणा देने वाला है. बेट्श्वाजॉन ने जिस तरह की समझ और निडरता से हालात का मुकाबला किया वह इस उम्र के बच्चों में होना दुर्लभ है. यह 23 अक्टूबर 2016 की घटना है. बेट्श्वाजॉन और उसका तीन साल का भाई आरबियस घर पर अकेले थे. आरबियस घर के अंदर था और इसी दौरान उनकी झोपड़ी में आग लग गई. बेट्श्वाजॉन घर के बाहर अकेला था. वह घर को आग की लपटों से घिरा देखकर सन्न रह गया. उसका छोटा भाई जलती हुई झोपड़ी के अंदर था और आसपास कोई नहीं था. बेट्श्वाजॉन अपनी जान को खतरे में डालकर जलती हुई झोपड़ी के अंदर गया. उसने दर्द सहते हुए साहसपूर्वक छोटे भाई को झोपड़ी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया. इस घटना में बेट्श्वाजॉन का दाहिना हाथ और चेहरा बुरी तरह जल गया और हाथ की उंगलियां विकृत हो गईं. बेट्श्वाजॉन ने साहस के साथ अपने भाई का जीवन बचाया.