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प्राचीनकाल से ही मानव जाति के मन में नियति के गूढ़ रहस्यों को भेदकर अपने भविष्य को जान लेने की लालसा रही है। इसी लालसा ने ज्योतिष विद्या को जन्म दिया। मानव ने ग्रहों की चालों का सूक्ष्म अध्ययन कर भौतिक और मानव जीवन में घटित होने वाली घटनाओं पर, उनके प्रभाव को जानने का यत्न किया। > इसी क्रम में उसने अनुभव किया कि ग्रहों के साथ-साथ अंक भी जीवन जीवन की घटनाओं को प्रभावित करते हैं। अंकों के रहस्य और शक्ति को जानने का प्रयास हजारों वर्षों से होता रहा है। प्राचीन ऋषि-मनीषियों को अंकों की शक्ति का पता था, किंतु पूरी विद्या वे दुनिया को नहीं सौंप, कुछ अपने साथ ही ले गए। तंत्रों के अंक चक्र तो अब भी मिल जाएंगे किंतु उनके फल में क्या गणित था, यह बता पाना संभव नहीं है। फिर भी जो भी उनसे पाया उसे और आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए तथा इसके लिए अनुसंधान करने की आवश्यकता है।